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Monday, May 25, 2009

क्या तुमने कभी सोचा है

क्या तुमने कभी सोचा  है 


बारिश की बूंदों और ठंडी हवाओं के  साथ
मन  कितनी  उड़ाने भरने  लगता  है........


उस वक़्त हर पल हर जगह मन बस 
तुम्हे ही ढूंढने लगता है.......


लगता है इस सुहाने मौसम में
बस तुम हो, मैं हूँ और हमारा प्यार हो


खुद में सिमटी तुम्हारे काँधे पर सर रखे
बारिश में भीगते हम बस चलते चले जाये........


न कोई डर न कोई खबर 
अनगिनत बातें, अनगिनत ऐसी मुलाकाते
और हम तुम बस ऐसे ही चलते चले जाये.....

क्या तुमने कभी सोचा है.....


रेवा 

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