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Saturday, October 5, 2013

स्वार्थी




बहुत मुश्किल है
इस विरह बेला से
अलबेला रहना ,
लाख कोशिशों
के बावजूद ,
आंसू बन ही गयें हैं
दिल की जुबान ,
हर प्यार भरे गीत पर
हर याद पर
हर बात पर
बरबस गलों को
गिला कर जातें हैं ,
आंसुओं पर
रोक लगाना मुश्किल
होता है न ,
और मेरे लिए
और भी मुश्किल ,
जानते हो न
तुम्हारे जाने से
पहले वाली रात
तुम्हारे कंधे पर
सर रख कर
सिसक उठी थी मैं ,
तुम कुछ न बोल पाए
बस चुप चाप
मेरे बालों को
सहलाते रहे ,
जानती हूँ आसान
तुम्हारे लिए भी नहीं ,
पर मुझे आज
अपना दर्द
ज्यादा महसूस हो रहा है
शायद स्वार्थी हो गयी हूँ मैं
पर तेरे प्यार के लिए !!

रेवा


11 comments:

  1. नवरात्रि की शुभकामनायें आदरणीया-
    सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई

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  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति.!
    नवरात्रि की बहुत बहुत शुभकामनायें-
    RECENT POST : पाँच दोहे,

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  3. आदरणीया ,सादर प्रणाम |
    बहुत खूबसूरत |
    प्रेम ....की निरंतर ,नए नए आयामों से .........आराधना |


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  4. खूबसूरत अहसास..

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  5. बहुत सुन्दर रचना...
    मन को छूने वाले एहसास...
    सस्नेह
    अनु

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  6. बहुत ही भावपूर्ण रचना...

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  7. खूबसूरत प्यार का अहसास

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  8. नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

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  9. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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