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Thursday, May 19, 2011

दिल की कश-म-कश


तुझसे मिलने की 
हर वक़्त 
एक व्याकुलता सी 
रहती है ,
कश-म-कश  चलती रहती 
है दिल मे ,
कभी सोचती  हूँ 
मिल कर क्या करुँगी 
क्या बात करुँगी ,
पर जवाब 
कुछ नहीं मिलता ,
हर वक़्त लगता है 
बस तू करीब हो 
तेरी आवाज़ सुनती रहूँ 
तेरी प्यार की बारिश मे 
भीगती रहू ,
तेरी बाँहों के साये मे 
बैठी रहूँ ,
कभी सोचती हूँ 
गर तू सच मे 
करीब आया ,
तो क्या मै
संभाल पाऊँगी 
अपने आप को ,
या बस पिघल 
कर रह जाउंगी ,
ये सारी बातें 
दिल मै एक तूफ़ान 
जगाती है ,
आंखें नम कर जाती है ,
कोशिश करती हूँ 
खफा हो जाऊ  तुझसे 
पर हर बार दिल कुछ 
बहाना कर के 
इस कोशिश को नाकाम 
कर देता है  ,
फिर रह जाता है 
बस प्यार भरा एहसास .............


रेवा 

Saturday, May 14, 2011

तन्हाई

क्या कुछ मान
लिया था
मैंने तुझे ,
पर अफ़सोस
की तू दोस्त
भी न
बना पाया मुझे ,
अपनी परेशानी
अपने गम
न बाँट
पाया मुझसे ,
पहली मंजिल
पर ही न ले जाने लायक
समझा तुने मुझे ,
ज़िन्दगी की
तमाम मंजिलें
कैसे ते 
कर पाओगे 
साथ मेरे ,
तनहा थी और 
तनहा कर दिया 
तुने मुझे ,
पर खुश हूँ
बहुत मैं ,
क्यूंकि
ऐसी तन्हाई
भी हर किसी
के नसीब मे
नहीं होती .................


रेवा