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Friday, October 5, 2012

रचनाकार की मनोदशा

जब शब्द न मिले 
एहसास कहीं खो जाये 
हर चीज़ धुँधली हो जाये 
हर ओर निराशा नज़र आये ,
दिल कुछ और बोले 
दिमाग कुछ और राह दिखाए ,
तो रचनाकार रचना कैसे करे ?
और अगर रचना न करे 
तो जीये कैसे ? 
रचनाकार की तो ज़िन्दगी ही होती है न 
उसकी रचना ..........

रेवा 


13 comments:

  1. बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही भावनामई रचना शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

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  2. हां रचनाकार की ज़िंदगी रचना तो होती है

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  3. एक रचनाकार की मनोदशा का बहुत सुन्दर चित्रण किया है आपने !!

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  4. मन की भावनाओ को उकेती रचना

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  5. रचनाकार के लिए शब्द ही जीवन है

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  6. बहुत सही कहा आपने ..रचना कार की जिन्दगी ही उसकी रचना ही होती है .....बहुत सुन्दर, हर रचनाकार के मन की बात कह दी आपने

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  7. रचनाकार अपनी राह निकाल ही लेता है...कोई बंधन उसे बाँध नहीं सकता...
    देखो न....तुमने भी तो रच ही डाली सुन्दर कविता,उलझन में भी...

    सस्नेह
    अनु

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  8. रचनाकार की जिंदगी ही उसका जीवन है बिलकुल सच कहा आपने *********

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  9. kya keh diya hai.....rachna kar ki rachna ko kis tarah racha aapne............

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  10. तो रचनाकार रचना कैसे करे ?
    जबाब मिल गया या सवाल अब भी बाकी है ?

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