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Saturday, November 24, 2012

मेरा अस्तित्व

ख्यालों मे इतने उफान आ रहे हैं
पर लगता है शब्दों का समुद्र
सूख  गया है ,
बस चारो और धुंध  ही धुंध है
कुछ साफ नहीं दिख रहा ,
ज़िन्दगी मे आये इस पड़ाव
को पार करना बहुत मुश्किल
हो रहा है ,
लोग तो रूठ कर चले गए
पर अब मेरी कविता
भी मुझसे रूठी बैठी है ,
उसे कैसे बताऊ की
उसके बिना मेरा अस्तित्व
दाँव पर लगा है /


रेवा







Monday, November 12, 2012

मन का अँधेरा

हर तरफ दिवाली की धूम मची हुई है
दीये की रौशनी अँधेरी रात को
रोशन कर रही है ,
पर मन मे इतना गहरा
अँधेरा और सन्नाटा
छाया है की ,
दिवाली की रौशनी भी
उसे रोशन नहीं कर पा रही .............

मैंने अपनी सासु माँ को 29th oct  को खो दिया

रेवा