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Tuesday, April 30, 2013

शंका

रात जब नींद नहीं आती
करवटें बदलते-बदलते
जाने क्यों तुम याद आने
लगते हो ,
मन तुम्हारे एहसासों से
भीग उठता है ,
दूर होते हुए भी
तुम्हारे बाँहों के घेरे मे
सिमट जाती हूँ ,
ऐसा लगता है
तुम मेरे पास ही हो ,
पर कभी कभी
एक शंका भी घेर लेती है कि,
जितनी शिद्दत से मैं
तुम्हे महसूस करती हूँ
क्या तुम तक वो एहसास
पहुँचते हैं ?
पर अगले ही पल
जब जवाब बन कर
तुम ख्वाबों मे आ जाते हो तो
सारी शंकाएं दूर हो जाती है ,
और रह जाता है बस
प्यार भरा एहसास /

रेवा



Wednesday, April 24, 2013

हर तरफ हैवानी ही हैवानी ............

आँखों से बरसे अंगार
रोये हम जार जार 
देख दशा उस बच्ची की 
हो गए सब शर्मसार ,
कैसी दुनिया दी है हमने 
अपने बच्चों को ?
जहाँ इज्जत हो रही 
तार तार 
हर बार सरे बाज़ार ,
न बचपन रहा 
न जवानी 
अब तो हर तरफ 
बस हैवानी ही हैवानी ............

रेवा 

Sunday, April 21, 2013

आखिर कब तक ??

पता नहीं क्या हो गया है
इंसानों को ?
छोटे बच्चों को तो हम
भागवान मानते हैं
उनके साथ ऐसा अत्याचार ,
आज बच्चों को बहार
भेजने मे डर लगने लगा है ,
उन्हें जाने अनजाने हम बाँधने लगे हैं
यहाँ मत जाओ
वहाँ मत खेलो
अकेले कहीं न जाओ
ये मत पहनो
वो मत पहनो ,
पर क्या इन सब से भी
कुछ असर हो रहा है
नहीं ,
आये दिन एक नयी घटना
और  उस पर नयी बेहेस  ,
कोई किसी को दोष देता है
कोई किसी को ,
पर ये कोई नहीं समझता की
आज बच्चों से उनका
बचपन छिन लिया गया है
जाने या अनजाने
माँ बाप भी डरे सहमे रहने लगे हैं ,
कितना भी खुद मे
जोश भर लो
हिम्मत दिखा दो
पर अन्दर से सब डरे हुए ,
पर कब तक जियेंगे
हम और हमारे बच्चे
ऐसी ज़िन्दगी
आखिर कब तक ??
कैसे बदलेगा ये समाज
और लोगों नजरिया ??

रेवा

Wednesday, April 17, 2013

पारो की व्यथा

औरतें हर दिन जीती है ,हर दिन मरती है
रोज़ नयी लड़ाई लडती है ,पर फिर भी कहाँ कुछ बदलता है /
अगर मर्द कुछ करे तो ,उसकी माफ़ी सहज ही मिल जाती है
पर अगर वहीँ औरत ऐसी गलती करे तो वो अपराध , क्यों ?


बहुत प्यार करती थी पारो अपने पति से
तन मन धन से सेवा करती
पति ,घर और बच्चो की,
शारीर कभी साथ देता
कभी नहीं भी ,
फिर भी एक उफ़ तक नहीं करती थी
क्युकी उसे लगता था की उसका पति उससे
बहुत प्यार करता है ,
पर जब एक दिन सच जाना
आँखों से सब देखा
टूट गयी वो ,
आँखों से आंसू की जगह
लहू बहने लगे ,
पति से पुछा तो
समझा बुझा कर चुप करा दिया उसे ,
करती भी क्या ,
कहाँ जाती बच्चों का मुँह
देख कर चुप हो गयी ,
घुलती रही रोज़
टूटती रही रोज़ फिर भी जीती रही ,
न घर वालों ने बात जान कर कुछ कहा
न दोस्तों ने
बल्कि सब ने पारो को ही समझाया ,
पर प्रश्न ये है
अगर गलती पारो ने की होती तो
क्या तब
उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार होता ?


रेवा





Tuesday, April 16, 2013

टुटा विश्वाश

मन टुटा
तन टुटा
टुटा है विश्वाश ,
न जाने फिर कब हो
जीने की आस ,
क्यों करते हैं लोग ऐसा
जाने क्या है बात ?
क्या उन्हें नहीं चाहिए
अपनों का साथ ?
नया ज़माना
नए लोग
नयी है उनकी सोच ,
टूटे काँच
कभी न जुड़ता
न जुड़ता विश्वाश /

रेवा








Friday, April 12, 2013

आवाज़ की जादूगरी

इतनी व्यवस्तता और मुश्किलों
के बीच भी ,
आज चेहक उठी मैं
सारी परेशानियाँ
जैसे छु मंतर हो गयी हों ,
पूछा भी तो था आज तुमने ?
पर जानते नहीं
के ये बस तुम्हारी
आवाज़ की जादूगरी है  ,
जो आज बहुत दिनों बाद
सुनने मिली थी ,
तमाम मुसीबतें एक तरफ
और तुमसे मिलने वाला
सुकून एक तरफ
सच है ,
प्यार हमे कितना कुछ देता है
बस उसे महसूस करने वाला दिल चाहिये /

रेवा