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Monday, August 26, 2013

"औरत"



कितने तप और पुण्य
के बाद मिलता है 
"औरत" का जन्म ,
तभी तो वो 
पैदा होने से लेकर 
मरने तक 
हर तरफ खुशियाँ 
बिखेरती है 
और हर तरह की जिम्मेदारी 
निभाती है ,
बचपन मे उसकी 
किल्कारियों से घर गूंजता है 
तो हर त्यौहार की रौनक भी 
होती है वो ,
शादी के बाद 
एक चार दिवारी को 
घर का दर्ज़ा देती है  ,
अपने त्याग और समझदारी की 
मिट्टी से सींच कर 
परिवार की मजबूत 
नींव तैयार करती है  ,
स्वं की इच्छा से पहले  
दूसरों की इच्छा का 
मान करती है ,
देवी देवताओं का आशीर्वाद 
है शायद उस पर 
तभी तो 
ये सब कर पाती है  ,
पर आज क्या हो रहा है 
उसके साथ ???
ये सब जानते है ,
बस एक दुआ, एक इल्तेज़ा है 
"औरत रूपी वरदान को 
अभिशाप मे न बदलो "

रेवा 


Saturday, August 24, 2013

नदी के दो किनारे




तुम कहते हो न
हम नदी के
दो किनारों की तरह हैं ,
हमेशा साथ-साथ
चलतें तो हैं
पर मिलते कभी नहीं ,
काश ! कभी कहीं
कोई रास्ता निकल आता ,
पर तुम कभी ये
क्यों नहीं सोचते की
हमारे बीच नदी की
मौज़ तो है
जो तुम्हे छु कर
मुझ तक
और मुझे छु कर
तुम तक पहुँच ही जाती  है
और हमेशा ये क्रम
चलता रहता है ,
फिर क्या हम
मेहेज़ दो अलग-अलग किनारे हुए।

रेवा


Tuesday, August 20, 2013

रिश्ते




उलझन भरी ज़िन्दगी मे
सुकून का एहसास
दिलाते हैं रिश्ते ,
गम की धुप को
छाँव मे बदलते हैं रिश्ते ,
हालातों की मार को भी
प्यार भरी थपकी
देते हैं रिश्ते ,
हो अगर प्यार भरा
तो फिर जीना आसां
करते हैं रिश्ते ,
पर सब रिश्तों से बड़ा है
खुद से खुद का रिश्ता
अगर ये बन जाये तो
"प्रयासों के गीत से
जीवन को संगीत बना दे ये रिश्ते "

रेवा


Thursday, August 15, 2013

क्यों कि आज Happy independence day है !!



हर साल इस दिन हम
देश के लिए मंगल कामना करते  हैं
फेसबुक पर फ़ोटो भी बदलते हैं ,
बधाई भी देते हैं
क्यों कि आज  " Happy independence day " है

देश मे माँ बहनों की इज्ज़त
के साथ खिलवाड़
बच्चियों तक के साथ बलात्कार
पर आज तो खुश हैं हम
क्यों कि आज  " Happy independence day " है


तेज़ाब से जल रहीं हैं
दहेज़ के लिए जलाई जा रही हैं बहनें  ,
बेटों के लिए बेटियों की
बलि चढ़ाई जा रही है
पर आज तो खुश हैं हम
क्यों कि आज  " Happy independence day " है

बच्चों को
mid day meal के नाम पर
ज़हर परोस रहे हैं
और उनको मरते देख रहे हैं
पर आज तो खुश हैं हम
क्यों कि आज  " Happy independence day " है

कहीं आतंकवाद
कहीं नेतावाद
कहीं विवाद
पर फिर भी आज तो खुश हैं हम
क्यों कि आज  " Happy independence day " है


रेवा 

Tuesday, August 6, 2013

मन के रिसते जख्म



तुम चाहते थे न
मैं चुप हो जाऊं
तुमसे न ज्यादा पूछूँ
न ज्यादा बातें करूँ ,
लो चुप हो गयी मैं अब
बन गयी एक मूक मूर्त ,
सब करती हूँ
घर के काम ,
तुमसे प्यार
तुम्हारी परवाह
तुम्हारा ख्याल ,
पर मैं अपने अन्दर
रोज़ कितने
जंग लड़ती हूँ
इसका शायद
अन्दाज़ा भी नहीं तुम्हे ,
हर लम्हा तुम्हे जानबुझ कर
अनदेखा करना
खून के घूँट पी कर
रह जाती हूँ ,
काश मैं
मूक ही पैदा होती ,
तन के जख्मो पर
मलहम लगा सकती हूँ
पर अपने मन के रिसते
जख्मों का क्या करूँ ?

रेवा 

Saturday, August 3, 2013

बोझिल दिल





पहले जब भी दिल
तुम्हारे होते हुए भी
तुम्हारे लिए तड़पता था
बोझिल हो जाता था ,
लगता था
शायद तुम्हें
मेरी भावनाएं
समझ ही नहीं आती ,
तो क्या फ़ायदा
खुद को कष्ट
और तुम्हे दोष देकर ,
पर अब
जब मैं जान गयी हूँ की
तुम इतने भी अनजान नहीं ,
अपने किये
और मेरी हालात
से वाकिफ हो  ,
तो किस तरह खुद को समझाऊं ?
क्या तुम्हारा
मन नहीं करता की
मुझे भी वो खुशियाँ
मिलनी चाहिए
जिनसे तुमने मुझे
अभी तक महरूम रखा है ,
पर अगर कोई
समझ के भी
नासमझ बना रहे तो
ये सवाल जवाब
सब बेकार  

"ये बोझिल दिल लिए सीने मे
क्या ख़ाक मज़ा है जीने मे "

रेवा