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Saturday, June 27, 2015

दुर्गा का अपमान


घुन लग गयी है
लोगो की सोच मे ,
दिमाग खाली हो गया है
गुरू शिष्य की गरिमा को
ताक पर रख दिया है ,
इसे भी जोड़ दिया है
देह की लालसा से ,
सरस्वती को पा कर अभिमान
से भर गए हैं या
गिर गए हैं ,
तभी तो दुर्गा का अपमान
करने की हिम्मत आई ,
अब दुर्गा को ही फिर से
रोद्र रूप धरना होगा ,
ताकी नाश कर सके इन
मुखौटों के पीछे छिपे
महिसासुरों का.............

रेवा


Saturday, June 20, 2015

मैं गृहणी हूँ





आज मान लिया मैंने की
सारी गलती मेरी ,
अगर बच्चे पढ़े न
बड़ों को जवाब दें तो
गलती मेरी ,
आखिर मैं ही तो रहती हूँ
दिन भर उनके साथ ,
अगर घर बजट
गड़बड़ हुआ तो
गलती मेरी ,
मैंने ही की होगी फिजुलखर्ची ,
सेहत ख़राब हो तो
गलती मेरी
ध्यान नहीं देती पौष्टिकता पर ,
आखिर मैं गृहणी हूँ !
बात मेरी चाहे
अनसुनी की जाती हो
पर जो भी होता है
उसमे मेरी रजामंदी
मान ली जाती है ,
और अगर गलत हुआ तो
गलती मेरी
क्योंकी मैं गृहणी हूँ................


रेवा

Thursday, June 11, 2015

निष्प्राण कलम


मेरे मन की गठरी से
निकल कर खो गयें है
सारे शब्द ,
ख्याल सिमट गए हैं
दिल की चार दिवारी के बीच ,
एहसास कहीं गुम हो गयें हैं
समय भी दब गया हैं
काम के बोझ तले ,
अब कैसे करूँ तुकबन्दी ?
कैसे भरूं
अपनी रचनाओं मे प्राण
जब मेरी कलम पड़ी है
निष्प्राण………………

रेवा