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Friday, July 31, 2015

तुम्हारे बिना


तुम्हे क्या लगता है
मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता
आराम से रह लेती हूँ
तुम्हारे बिना ??
वहीँ घर के काम
खाना पीना और सोना ………

ये क्यों नहीं समझते की
जब तक सुबह तुम्हारे साथ
दो कौर खा न लूँ
मेरा मन भूखा रहता है ..........

शाम को जब तुम घर आते हो
तो खाली घर भर जाता है ,
तुम्हारी आवाज़ सुनकर
सन्तुष्टि सी महसुस होती है .......

बात तुम चाहे न करो
पर बगल मे तुम्हे सोया देख कर
मेरी नींद पूरी हो जाती है……

ऐसा महसुस होता है की
"तुम मेरी आदत और आदत
ज़िन्दगी बन गयी है अब "!!!!

रेवा 

Wednesday, July 22, 2015

बेमानी प्यार





जाने क्यों
पर भटकती रही
सदा प्यार के लिए….

प्यार नज़र भी आया
पर हंसी आई ये जान कर की
प्यार भी सहुलियत के हिसाब से
किया जाता है …

फ्री हैं तो प्यार जाता दिया
मसरूफ हुए तो ठुकरा दिया
उफ्फ्फ !!

जब ज़िन्दगी मे
खालीपन महसूस हुआ
तो याद आया फिर वही प्यार ....

और उस प्यार को वहां न पा कर
बेवफा और न जाने
क्या क्या उपनाम दिया....
वाह !

खुद को सच्चा
और प्यार को बदनाम किया …
हुँह !

"खुद हुए मसरूफ
और बेवफ़ा  मुझे नाम दिया ,
चल दिए दामन छुड़ा कर
और बेमानी मेरा प्यार हुआ  "!!!!!!!

रेवा

Monday, July 13, 2015

अनकही जुबां !!



बेवफाई ने तेरी
कर दिया बेजुबां ,
हर तन्हा लम्हे से
करती हूँ मैं बस
एक ही सवाल ,
क्या मैं प्यार के
क़ाबिल नहीं ?
या किस्मत ही है
बईमा ,
या पल पल की तड़प
नाम है मेरे ,
काश ! तुम समझ पाते
मेरे नम आँखों की जुबां ,
पढ़ पाते
मेरी दर्द भरी मुस्कान ,
पर अब भी मेरे पास
जीने की है एक वजह
मेरे दिल मे बसे
तेरे प्यार की वो
अनकही जुबां !!

रेवा



Monday, July 6, 2015

गोल रोटी



रोटी को गोल
बनाते बनाते
मेरी ज़िन्दगी भी जैसे
गोल हो गयी है………

हांथों मे बचा हैं तो बस
इधर उधर चिपका
गीला आटा.……

बेमतलब बेमानी रिश्तों की तरह
जिसे धो कर साफ़
करना है.…

फिर भरना जो है
रिश्तों की ऊष्मा से
और ये क्रम यूँही
चलता रहेगा
उसी गोल रोटी की तरह…

रेवा