tag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post8248381593088859613..comments2024-03-16T10:31:53.517+05:30Comments on प्यार : जरुरत Rewa Tibrewalhttp://www.blogger.com/profile/06289019678581015004noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post-37392959360257540912019-09-08T14:23:26.635+05:302019-09-08T14:23:26.635+05:30सुंदर रचना सुंदर रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post-33040629606238990172019-08-30T14:24:22.399+05:302019-08-30T14:24:22.399+05:30आज अचानक तुम्हें मेरा ख्याल आया
तुम आये मेरे पास ...आज अचानक तुम्हें मेरा ख्याल आया <br />तुम आये मेरे पास <br />पर अब मैं तुम्हें फिर से इज़ाज़त <br />नहीं दे पाऊँगी की तुम <br />उन दरारों को फिर से बदसूरत<br />दर्द भरा कर दो और फिर <br />डूब जाओ अपनी उलझनों में<br /><br />मैं खुश हूँ उनके साथ अपने साथ<br />मुझे वैसे ही रहने दो..<br /><br />दर्द के बावजूद आत्मविश्वास से भरी रचना ..आत्मबल को बढ़ाने वाली।व्याकुल पथिकhttps://www.blogger.com/profile/16185111518269961224noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post-6941058762217866032019-08-30T05:59:15.938+05:302019-08-30T05:59:15.938+05:30जीवन के लिये यही फ़लासफ़ी सबसे उपयुक्त है.जीवन के लिये यही फ़लासफ़ी सबसे उपयुक्त है.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post-30871553705857287532019-08-29T23:19:52.603+05:302019-08-29T23:19:52.603+05:30 बहुत खूब रेवा जी |यही सार्थक जीवन का स्वाभिमा... बहुत खूब रेवा जी |यही सार्थक जीवन का स्वाभिमान है कि जख्म मिल जाए तो उन्हें बार बार कुरेदने का अवसर किसी निष्ठुर को ना दिया जये | सीखने के लिए एक ही अनुभव काफी है | सस्नेह शुभकामनायें | रेणुhttps://www.blogger.com/profile/16292928872766304124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479014459129076467.post-84286274980701033042019-08-29T17:41:10.142+05:302019-08-29T17:41:10.142+05:30मैंने तुम्हें आवाज़ लगाई
एक बार दो बार नहीं
कई कई...मैंने तुम्हें आवाज़ लगाई <br />एक बार दो बार नहीं <br />कई कई बार <br />पर हर बार अपनी <br />उलझनों में उलझे तुम्हें <br />मैं, मेरे एहसास जरूरी न लगे<br />बहुत सुन्दर सृजन....Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.com