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Wednesday, October 7, 2009

अगर तुम ना होते तो

अगर तुम न होते तो ,
प्यार न होता ,ऐसा नही,
पर वो प्यार इतना प्यारा न होता ,

अगर तुम न होते तो ,
मै हंसती नही ,ऐसा नही,
पर वो हँसी ,एक दिखावा होती ,

अगर तुम न होते तो ,
यह दिल धड़कता नही ,ऐसा नही,
पर वो धड़कन सिर्फ़ ह्रदय को गतिमान रखने के लिए होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह सांसें न चलती ,ऐसा नही ,
पर वो सांसें सिर्फ़ इस शरीर को जिंदा रखने का बहाना होती ,

अगर तुम न होते तो,
यह एहसास न होते ,ऐसा नही ,
पर उन एहसासों मै वो प्यार वो जज्बा न होता,

अगर तुम न होते तो,
मै न होती, ऐसा नही ,
पर तब "तुम्हारी जान "बेजान होती ..................

एक प्रेयसी (रेवा)

8 comments:

  1. सुन्‍दर भावपूर्ण शव्‍दों की पंक्तियां. आभार आपका.

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  2. Pyaar kaa ehsaas sach me kitana pyara hota hai...lekin ye khumaar bhee uataar detee hai zindagee ke kadvee sachhayiyaan...!

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  3. par sacche pyar mai yahi tho baat hoti hai ki zindagi ki kadvee sachiyon ko jhelte hue bhi zinda rehti hai

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  4. ...per tab tumhari jaan bejaan hoti....





    wah rewa ....wakai aapne pyar ko meera ki tarah jine ki kosi ki hai ....badhai

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  5. thanx Rakesh ji for such a nicee comment.....

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  6. Bahut sundar bhav diye aapne is kavita mey dost, manno aap khidaki mey khadi apne hi man ki behati nadi key bahav ko dekh rahi ho, pyaar ka manohar drisya man-mandir mey jout ka prakash ban ubhar raha hey kavita mey sey ......
    Ek baar phir kahunga .....bahut achcha laga kavita padh kar. Dhanyavad !

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