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Friday, April 30, 2010

वो चांदनी रात

वो चांदनी रात
वो तेरा साथ,

वो वादियाँ वो फिजायें
वो झरने वो ठंडी हवाएँ,

वो लम्हा वो पल
वो बेचैनी हर पल,

वो नज़रों का मिलना
मिल कर झुक जाना,

वो तेरा हौले से आना
आकर चले जाना,

वो मेरी खुशी
वो मेरी ज़िन्दगी,

वो चांदनी रात
वो तेरा साथ l 


रेवा

7 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति.......http://athaah.blogspot.com/

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  2. "वो चांदनी रात
    वो तेरा साथ"

    यादों में जीना कितना अच्छा लगता है!है ना...

    कुंवर जी,

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  3. इस रचना के लिये धन्यवाद
    ऐसे लेखन कि ब्लोग जगत को आवयश्कता है

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  4. Bahut saral ,pyari-si rachana!

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  5. This comment has been removed by the author.

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