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Thursday, July 22, 2010

मेरी सखी के नाम

आज एक गीत सुना तो ,
अपने बचपन की सहेली की याद
आ गयी


वो मेरी सहेली थी
पर मेरे लिए एक पहेली थी
मानती थी बहुत मुझे ,
चाहती थी हर वक़्त मेरा साथ
पर छोटी छोटी बातों मे रूठ
जाती थी बिन बात 

कहती थी ,
ज़िन्दगी की राहों  में 
न छोड़ेगी कभी मेरा हाथ ,
चाहे कैसे भी हो जाएँ हालात
रहेगी वो हमेशा मेरे साथ ,

पर वक़्त ने ऐसी करवट बदली
बुरी लग गयी उसे कुछ बात
छोड़ दिया साथ ,
तोड़ दिए सब जज्बात ,

बहुत से ख़त लिखे
लाख करी मनुहार
पर पा न सकी उसकी
दोस्ती और प्यार ,
पर आज भी
आँखों में भर कर प्यार
करती हूँ  उसका इंतज़ार ....



रेवा

3 comments:

  1. अपने चारों तरफ एक दिवार सी खड़ी
    कर ली है मैंने.....कोशिश है की एक
    भी एहसास बहार न जा पाए .....
    तू जैसा देखना चाहता है वैसा ही देख
    पाए.. Kya baat hai
    Har eshaas ki har kiran tujhse roshan hai,
    tumne jab se choo kar mehssos kiya mujhe|rk

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