Pages

Thursday, December 2, 2010

आज़ादी

प्यार सिखाया तुमने
सोये हुए एहसास जगाये तुमने 
धीरे धीरे हर चीज़ जोड़ा तुमने 
हमे एक दूसरे की हर बात 
पता होने लगी,

दूर होते हुए भी 
नज़दीकी महसूस करने लगे 
तुम कहीं और, और मैं कहीं और 
फिर भी हम समय बांध कर
अलग अलग साथ खाने  लगे
चाय पीने  लगे 
बाहर भी जाते आते तो बता कर 

पर फिर अचानक तुम 
ज्यादा व्यस्त रहने लगे ,
हर बात पर " क्या करूँ बिजी हूँ "
कहने लगे ,
बातें कम हो गयी ,खबर ही न 
रहती एक दूसरे की ,
फिर एक दिन ऐसा आया
तुमने बोला 
" जाओ तुम्हें आज़ाद किया "
क्या सच मे  इसे आज़ादी कहते हैं ??


रेवा 



5 comments:

  1. बहुत बढिया
    जाओ तुम्हे आज़ाद किया
    इन शब्दो मे कितनी गहरी बात छुपी है

    ReplyDelete
  2. एहसास और भाव

    ReplyDelete
  3. Bahut gahan baat kah dee aapne! Nahi,ye to aazaadee nahi!!

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

    ReplyDelete