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Monday, July 4, 2011

क्यों होता है ऐसा

प्यार में तो सिर्फ 
प्यार होना चाहिए न ,
फिर इतना दर्द 
क्यों होता है ?
प्यार मे तो बस  
ख़ुशी होनी चाहिए
फिर यह आँसू
क्यों आ जाते है ?
हम ये क्यों नहीं 
महसूस कर पाते
की हमे प्यार तो मिला ,
कितने ऐसे लोग हैं 
दुनिया मे जिन्हें 
सच्चा प्यार मिलता है ?
इतना सब जान समझ 
कर भी हम बच्चे 
क्यों बन जाते हैं ,
कभी हँसते है 
कभी रोते हैं ,
कभी बिन बात ही
गुनगुनाने लगते है ,
बस वो एक आवाज़ 
एक साथ ,उलाहने 
और प्यार भरी बातें 
हमे सुकून और 
ख़ुशी से भर देती है ,
और वही न मिलने पर 
दिल बोझिल हो जाता है 
दर्द से भर जाता है ,
क्यों होता है ऐसा 
क्या सचमुच प्यार 
दर्द और ख़ुशी का 
मिश्रण है ?
या पागलपन की 
निशानी......क्या 
है प्यार   ??????


रेवा 



12 comments:

  1. हां यही तो प्‍यार है

    मेरा ब्‍लॉग - दुनाली

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  2. मन के भावों को खूबसूरती से लिखा है
    सुन्दर शब्दों से सजाई हुई बेहद बेमिसाल रचना !

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  3. करीब 20 दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  4. बहुत ही प्यारी रचना !!
    पढ़ कर मन प्रसन्न हों गया..

    "प्यार में तो सिर्फ प्यार होना चाहिए"

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  5. क्या
    है प्यार ??????
    Kahan koyee samajh paya hai?

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  6. aap sabka bahut bahut shukriya........

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  7. sanjay ji apka swasth abb theek hoga........shuriya apka..

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  8. प्यार में तो सिर्फ
    प्यार होना चाहिए न ,
    फिर इतना दर्द
    क्यों होता है ,
    Yahi to pyar ha....sayad. Dard na ho to pyar kasa?

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  9. शायद इन सभी भावनाओं से मिलकर ही प्यार की उत्पत्ति हुयी हो...!
    बेहतरीन रचना रेवा जी...सुन्दर भाव-संयोजन..!!

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  10. dinesh ji ....sanuji...bahut bahut shukriya

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  11. हिंदी भाषा के प्रोत्साहन के लिए इस ब्लॉग को बढ़ावा दे तथा इस लिंक पर क्लिक कर इस ब्लॉग को फोल्लो करे ! http://ajaychavda.blogspot.com/

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  12. agar dard jyaada hai to shayad dard pyaar ka doosra naam hai...jitna dard hota hai...pyaar utna hi gahra hota hai

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