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Thursday, July 14, 2011

वैसा प्यार

कभी कभी  मैं सोचती हूँ 
की कभी किसी को 
ऐसा प्यार करने वाला 
साथी मिलेगा ,
जो बदले मे कुछ ना चाहता हो ,
वो देह से ना प्यार कर 
के सिर्फ़ मन से प्यार 
करता हो ,
दिल की अनकही अनुभूतियों
को समझता हो ,
धड़कनो की ज़ुबान 
पढ़ सकता हो ,
क्या मीरा और राधा 
जैसा प्यार सिर्फ़ 
हम ही कर सकते हैं
हमे नही मिल सकता
वैसा प्यार ...................


रेवा

7 comments:

  1. दिल की अनकही अनुभूतियों
    को समझता हो ,
    धड़कनो की ज़ुबान
    पढ़ सकता हो ..............
    Bahut sundar Bhaw... apki har kavita aur Baat hi nirali hoti ha... bahut bahut badhai apko Rewa ji.

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  2. dineshji apka bahut bahut shukriya

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  3. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  4. sanuji,kamleshji bahut bahut shukriya

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  5. Mini jo ham hotey hey vohi yeh sansar bhi ho aesa nahi hota hey, ek hi phul ki pankhudiyon ki tarha ham sabhi ek phul mey guthey huye hein jismey hamko CHAH key liye nahi jina bas KHASBOO ko sang mil chaman ko mehkana hey !

    जग देखन मै जब चली,सुखिया मिला ना मोहे कोय
    जब झाँकन घर आप चली,भटक भटक देहरी मै खोई
    ज्ञान बहो अन्धकार गयो, मै संग प्रकाश सुखिया होई

    Dadu !

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