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Friday, November 18, 2011

वो कॉलेज के दिन

वो कॉलेज की सीढ़ी
का कोना  ,
वो मम्मी को 
जूठ बोलना , 
क्लास न होते 
हुए भी कॉलेज आना ,
घंटों बैठे रहना ,
उन घंटो मे
पलों का खो जाना ,
वो रातों को बातें करना 
मछछरों का काटना ,
रोज नज़रें बचा 
कर मिलना ,
वो मुलाकातें , वो बातें 
भुलाये नहीं भूलती 
वो दिन ,वो रातें .........


रेवा




15 comments:

  1. Dil ko kaheen kachot gayee aapkee ye rachana!

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  2. वो कॉलेज की सीढ़ी
    का कोना ,

    ...सब कुछ कह दिया......बेहतरीन रचना रेवा जी !!

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  3. बहुत ही अच्छी एवं एक ख़ास एहसास से लैस रचना के लिए दिल से बधाई

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  4. कालेज के दिन जिंदगी के सुनहरे दिन होते है उन्हें कोई कैसे भूल सकता है

    सुन्दर कविता
    बधाई

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  5. kshamadi , sanjayji , deppak ji........aap sabka bahut bahut shukriya

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  6. बहुत सुन्दर रचना , बधाई स्वीकार करें .

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  7. Itne sadharan se shabdo ko kitna sunder rang diya hai rewa....
    purane din yaad dilwa diye...shayad sab ko apne din yaad aa gaye...
    ek baar fir se......bahut umda rachna......
    lots of luv to u..
    keep it up.....

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  8. बहुत सुंदर पंक्तियाँ...
    मज़ा आ गया जी !!

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  9. S.N Shukla ji ,anupamaji bahut bahut shukriya

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  10. Sansac ji...thanx for ur nicee compliments......it means a lot for me..

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  11. बेहतरीन रचना!!!
    you memorized me someone very special

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  12. namaskar rewa jee , aapne bite dino ki yad taza kar dee...........dhanyawad...

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