क्या कहूँ
मन कैसा हो रहा है आज ,
सहनशक्ति के सारे बांध
टूट रहे हैं ,
नहीं सहा जाता अब
रोज़ रोज़ आशा भरी
नज़रों से तुम्हे
टुकुर टुकुर देखना ,
लगता है आज तो
तुम कुछ मन की बात करोगे ,
यही पूछ लो शायद
की क्या "तुमने खाना खाया "
पर नहीं रोज़ की तरह
आज भी ,
बस एक मौन पसरा है ,
वही तुम्हारा ऑफिस से आना
खाना खा कर सो जाना ,
न एक नज़र देखना
न ही बात करना ,
करवटों मे रात
बीत जाती है ,
पर एक हाँथ के
फासले पर सोये
तुम्हे खबर भी नहीं होती ,
हर बार खून के आंसू
पी कर रह जाती हूँ ,
लगता है कल नया दिन
नयी शुरुआत ,
पर अब लगता है शायद
यही मेरा नसीब है
यही मेरी ज़िन्दगी .............
रेवा
मन कैसा हो रहा है आज ,
सहनशक्ति के सारे बांध
टूट रहे हैं ,
नहीं सहा जाता अब
रोज़ रोज़ आशा भरी
नज़रों से तुम्हे
टुकुर टुकुर देखना ,
लगता है आज तो
तुम कुछ मन की बात करोगे ,
यही पूछ लो शायद
की क्या "तुमने खाना खाया "
पर नहीं रोज़ की तरह
आज भी ,
बस एक मौन पसरा है ,
वही तुम्हारा ऑफिस से आना
खाना खा कर सो जाना ,
न एक नज़र देखना
न ही बात करना ,
करवटों मे रात
बीत जाती है ,
पर एक हाँथ के
फासले पर सोये
तुम्हे खबर भी नहीं होती ,
हर बार खून के आंसू
पी कर रह जाती हूँ ,
लगता है कल नया दिन
नयी शुरुआत ,
पर अब लगता है शायद
यही मेरा नसीब है
यही मेरी ज़िन्दगी .............
रेवा
जिन्दगी तो जिन्दगी ही है.......
ReplyDeleteओह...दर्द भरी लिखनी ...जिंदगी का सच लिए हुए हैं ...हर औरत का सच ...तेरा मेरा सच ....
ReplyDeletebahut khoob masha allah
ReplyDeletebaraye meharbani mere blog pe b ta assurat pesh kejiyega
www.hilalwzj.blogspot.com
दर्द छलक पडे हैं शब्दों में, नारी जीवन की यही कहानी है ...
ReplyDeleteपर एक हाँथ के
ReplyDeleteफासले पर सोये
तुम्हे खबर भी नहीं होती ,
हर बार खून के आंसू
पी कर रह जाती हूँ ,
bahut marmik prastuti..........sabd sabd me bhav bhare hue hai ........
बहुत ही बढ़िया
ReplyDeleteसादर
aap sabka bahut bahut shukriya
ReplyDeleteYashwant ji...apka comment mail may tho aya...yahan shayad kisi karanwash nahi dikh raha....chama chahungi....apka bahut bahut shukriya...padhne aur sarahne kay liye
ReplyDeletewahhhhhh
ReplyDeleteshukriya
ReplyDeleteयही मेरा नसीब है
ReplyDeleteयही मेरी ज़िन्दगी ...
नारी मन से निकले बहुत ही गहरे भाव और अभिव्यक्ति !!
kamlesh ji shukriya
ReplyDeleteAaiso basant nahin bar bar
ReplyDeletephagan ke din char
holi khel ke mana re
seel santokh ke kesar gholi
prem preet pichkaar re
urat gulal lal bhiyo ambar
barsat rang apaar re
Phagun ke rangon se ranglo apni zindagi - Happy Holi
.
ReplyDeleteआपकी कविताओं में दर्द की सघन अनुभूतियां हैं …
दर्द ज़िंदगी का अहम हिस्सा है ।
यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए आभार !
शुभकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
pintu bhai....shukriya...same to u
ReplyDeleteRajendraji bahut bahut dhanyavad apka
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है
ReplyDeleteआज कल के जीवन की और हर घर की कहानी को दर्शाती है,
हमें कवेल रचना को पढ़कर कमेन्ट करना ही काफी नहीं
हर पुरुष को एस बारे में सोचना चाहिए !
shukriya Vijay ji...bahut sahi kaha apne...
ReplyDeleterewa karti raho
ReplyDeletekarti rehna sahitya ki seva
baht accha likhti ho
itna kuch kahan se sikhti ho
shabad bade kamal hain tumahre
lagte hain hamko to bemisal sary
jab likhe bina na ji pao
tab likho or likhte hi jao
aisa khalil jibran ne kaha tha
maine kisi pustak se padha tha
bas itna hi kahunga ki rukna mat
mushkile kitni ayein wapas mudna mat
Jitender ji bahut bahut shukriya...apne mera hausala dugna kar diya
ReplyDeleteसुन्दर....
ReplyDeleteभावनात्मक सहारा खोजते उम्र गुजर जाती है...
फिर भी जीवन तो चलता रहता है.
अनु
Anuji....shukriya....sahi kaha apne
ReplyDeletewah dil ko chhu gai aap ki rachna........ bahut khub......
ReplyDeleteshukriya Lokesh ji
ReplyDeleteरेवा जी ,जीवन की सच्चाई से रु बरु कराती आपकी रचना ! सुन्दर शब्द विन्यास ,उत्तम कृति
ReplyDeleterewa jee plz see the folowing link also
ReplyDeletehttp://abhivyakte.blogspot.in/
nic lines
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