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Tuesday, January 29, 2013

तन की सुन्दरता या मन की

हँसी आती है मुझे
ये देख कर की लोगों के
बोलने मे
और सोच मे
कितना फरक होता है ,
बोलते कुछ हैं
मानते कुछ हैं ,
हमेशा ही ये बोला जाता है की
मन सुन्दर होना चाहिए ,
तन की सुन्दरता
कोई मायने नहीं रखती ,
पर सच तो ये है की
मन की सुन्दरता से
कम ही सरोकार होता है ,
जो दीखता है वो
तन की सुन्दरता होती है ,
वोही सबसे पहली चीज़ है
जो दिखती है ,
और उसी से लोग
इम्प्रेस हो जाते है ,
और कहा भी जाता है न की
"फर्स्ट इम्प्रैशन इस द लास्ट इम्प्रैशन "
फिर मन देखने की कौन कोशिश करता है ?
यही है
आज की दुनिया का कड़वा सच /

रेवा


9 comments:

  1. True& cruel Reality of Modern Time. well said.

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  2. हँसी आती है मुझे
    ये देख कर की लोगों के
    बोलने मे
    और सोच मे
    कितना फरक होता है ,
    बोलते कुछ हैं
    मानते कुछ हैं ,
    यही तो मैं सोच रही थी !!

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  3. सही कहा आपने


    सादर

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  4. आपकी बात सही है...
    फर्स्ट इम्प्रेसन के चक्कर में मन देखना भूल जाते है लोग...

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  5. रेवा जी,
    बहुत खूबसूरती से गहरे भावों को उतारा है आपने !!

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