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Tuesday, February 12, 2013

ज़िन्दगी जीने के बहाने

कभी-कभी अनजाने ही
कुछ अनकहे रिश्ते
बन जातें हैं ,
बेगाने भी अपने
बन जाते हैं ,
मीलों की दुरी हो दरमियाँ
पर फ़साने
बन जातें हैं ,
और फिर ये फ़साने
ज़िन्दगी जीने के बहाने बन जातें हैं /

रेवा




10 comments:

  1. पत्नी, पुत्री, बहन का, मात-पिता का प्यार।
    उनको ही मिलता सदा, जिनका हृदय उदार।
    --
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज के चर्चा मंच पर भी है!
    सूचनार्थ।

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  2. प्रेरित करती रचना -
    आभार आदरेया--

    बहा बहाने ले गए, आना जाना तेज |
    अश्रु-बहाने लग गए, रविकर रखे सहेज |
    रविकर रखे सहेज, निशाने चूक रहे हैं |
    धुँध-लाया परिदृश्य, शब्द भी मूक रहे हैं |
    बेलेन्टाइन आज, मनाने के क्या माने |
    बदले हैं अंदाज, गए वे बहा बहाने ||

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  3. होता है ऐसा ... सुंदर अभिव्यक्ति

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  4. सुन्दर प्रभाब शाली अभिब्यक्ति .आभार .


    दिल के पास हैं लेकिन निगाहों से बह ओझल हैं
    क्यों असुओं से भिगोने का है खेल जिंदगी।

    जिनके साथ रहना हैं ,नहीं मिलते क्यों दिल उनसे
    खट्टी मीठी यादों को संजोने का है खेल जिंदगी।

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  5. हाँ न...
    जैसे तुम बनी हमारी नन्हीं बहना और हम तुम्हारी दी....
    :-)

    happy valentine day <3

    love-
    अनु

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