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Wednesday, April 24, 2013

हर तरफ हैवानी ही हैवानी ............

आँखों से बरसे अंगार
रोये हम जार जार 
देख दशा उस बच्ची की 
हो गए सब शर्मसार ,
कैसी दुनिया दी है हमने 
अपने बच्चों को ?
जहाँ इज्जत हो रही 
तार तार 
हर बार सरे बाज़ार ,
न बचपन रहा 
न जवानी 
अब तो हर तरफ 
बस हैवानी ही हैवानी ............

रेवा 

4 comments:

  1. हृदयस्पर्शी भाव हैं रेवा....मानो दुखती रग पर हाथ रखा हो...

    सस्नेह
    अनु

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  2. वर्तमान के सच को बड़ी मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है
    मन द्रवित हो गया
    गजब

    आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों


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  3. ऐसी घटनाये अंदर तक मन द्रवित कर देती हैं. सुंदर मार्मिक प्रस्तुति रेवा जी.

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  4. Very well said!
    Vinnie,
    Please come over to my blog http://www unwarat.com After reading stories & articles please give your comments.
    Vinnie

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