Pages

Wednesday, May 29, 2013

क्या लिखूँ ?

क्या लिखूँ आज ?
मौसम का हाल या
प्यार का बुखार ,
दोस्ती का खुमार या
रिश्तों की गुहार  ,
ज़िन्दगी के ताने बाने या
अनकही  जज्बातें ,
या तेरी मेरी मुलाकातें
आज शायद कुछ नहीं क्युकी ,
जितनी भी कोशिश कर लो
रह ही जातें हैं
अपने कुछ अधलिखे ख्याल
जो चाह कर भी इन पन्नों पर
शब्द बन कर संवर नहीं पाते
और दे देते हैं एक अतृप्ति का भाव /

रेवा







Wednesday, May 22, 2013

तो क्या बात है

ज़माना ही बेवफ़ा है
तुमने बेवफ़ाई की तो
क्या बात है ,
दर्द तो ऐसे भी था सीने मे
तुमने दर्द दिया
तो क्या बात है ,
उपर से तो सभी छलनी करते हैं
तुमने दिल मे रह कर छला
तो क्या बात है ,
आंखें तो यूँ भी भर आती थी
तुमने उन्हें रोने का बहाना दे दिया
तो क्या बात है ,
तपती धुप मे बारिश सा एहसास देने वाले ने
बारिश के साथ रोना सिखा दिया
तो क्या बात है ,
तुम पर इन सारे इल्ज़ामो के बावजूद
मुझे तुमसे बेइन्तेहा प्यार है
तो क्या बात है /

रेवा


Saturday, May 18, 2013

अजीब आँसू

ये आँसू भी अजीब है
आँखों के कैदखाने मे 
उम्र भर कैद रहते हैं ,
फिर बिना आगाह किये
मन के भावों को पढ़
खुद को आज़ाद
कर लेते हैं ,
इतने छोटे से कैदखाने मे
इतने सारे आँसू
एक साथ रहते हैं ,
और इतनी ईमानदारी से 
ताउम्र  दर्द के साथ 
अपना रिश्ता निभाते हैं ,
क्या ये हमे ज़िन्दगी की 
बहुत बड़ी सीख नहीं देते ?

रेवा 



Thursday, May 16, 2013

एक पागल लड़की

सच मे वह पागल थी
प्यार के लिए पागल ,
सबसे अलग सांवली सी थी
साधारण रंग रूप
साधारण सपने ,
सबसे बड़े प्यार से मिलती
हर किसी को अपना बना लेती ,
कोई अगर प्यार के दो बोल
बोल दे तो बस
उसके सारे काम
ख़ुशी ख़ुशी कर देती थी ,
पर उस पगली को ये कहाँ पता था
कि उसे कभी प्यार हो जायेगा ,
पागल तो पहले ही थी
अब दीवानी भी हो गयी थी ,
दिलो जान से चाहा अपने प्यार को
बहुत भरोसा किया ,
पर टूट गया भरोसा
प्यार टूटता तो बात अलग थी ,
बिखर गयी
पर टूटी नहीं ,
जीना फिर शुरू किया
ज़िन्दगी तो आज भी जीती है वो
पर सच्चे प्यार को
आज भी तरसती है वो पगली ......


रेवा


Sunday, May 12, 2013

क्युकी आज तो है मदर्स डे

शायद आपको गलत लगे जो मैंने लिखा है ....कडवा भी लगे ,पर आज बहुत से माता पिता
का सच है ये /


आज तो माँ का दिन है
जिसे कहते हैं मदर्स डे  ,
आज तो कर ले सम्मान
कल चाहे फिर तू कर अपमान ,
आज कर ले उसकी इज्जत
चाहे कल फिर करना बेईज्ज़त ,
आज तो रख ले घर पर उसे
चाहे कल फिर कर देना बेघर ,
आज तो उसे दे कुछ उपहार
चाहे कल करना उपहास ,
आज तो उसके दूध की लाज रख ले
क्युकी आज तो है मदर्स डे ............

रेवा


Thursday, May 9, 2013

तुम्हारा खो जाना

क्या तुम्हे पता है
तुममे तुमको मैं कितना
तलाश करती हूँ आजकल ,
कहीं गुम से गए हो
क्यों कहाँ कैसे
पता नहीं ?
मैंने तो तुममे खो कर
अपना वजूद पाया  ,
पर तुमने तो खुद को ही
खो दिया ,
पर मैं भी हार नहीं मानने वाली
तुम्हे तुमको लौटा कर ही
दम लुंगी ,
आखिर इसमे मेरा भी तो स्वार्थ है ,
"तुम्हे तुमको लौटा कर
मुझे मैं मिल जाऊँगी  "

रेवा


Sunday, May 5, 2013

कविता का संसार

गजब है ये कविता का संसार भी
रुलाता है , हँसाता  है 
अनेक तरह की
अनुभूतियाँ कराता है ,
कभी पढ़ कर लगता है 
ये पंक्तियाँ मेरे लिए ही
लिखी गयी  है ,
कभी लगता है काश 
ऐसा हम भी लिख पाते ,
कभी कभी तो
भाव इतने गहरे होते हैं की  
मन कुछ देर 
वहीँ गोता लगाता रहता है ,
और कभी 
सच मे आंसू बहने लगते हैं ,
पर जैसा भी है 
बहुत प्यारा है ये  संसार। 

रेवा 



Friday, May 3, 2013

अनुपम संगम



एक मैं हूँ कि
दावा करती रहती हूँ
अपने प्यार का ,
और एक तुम हो
जिसने मुझे एक पल मे
पराया कर दिया ,
कितना अनुपम संगम है
मेरे अनुराग और
तुम्हारे विराग का /

रेवा