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Friday, May 3, 2013

अनुपम संगम



एक मैं हूँ कि
दावा करती रहती हूँ
अपने प्यार का ,
और एक तुम हो
जिसने मुझे एक पल मे
पराया कर दिया ,
कितना अनुपम संगम है
मेरे अनुराग और
तुम्हारे विराग का /

रेवा


12 comments:

  1. बिल्कुल सच कह दिया

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  2. ऐसा नहीं होता , प्यार में कोई पराया नहीं होता कोई मज़बूरी भी हो सकती है ....:)

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  3. Very well expressed,Reva.
    Vinnie

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  4. अद्धभुत अभिव्यक्ति
    God Bless U

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  5. बहुत सुन्दर ...........

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  6. बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति,आभार.

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  7. वाह बहुत सुंदर और मन की सच्ची बात कही है
    बधाई

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  8. मेरे अनुराग
    और.........
    तुम्हारे विराग का
    अद्भुत....

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  9. मेरा अनुराग...तुम्हारा विराग..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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