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Friday, November 8, 2013

तुम्हारी कविता



तुम्हारी प्यार भरी
बातों ने 
आज फिर 
कविता लिखने 
को प्रेरित किया 

शुरू से लेकर अभी तक 
सारी रचनायें 
तुम्हारी ही तो हैं 
मेरा तो उसमे 
कोई योगदान ही नहीं 

कभी तुझसे प्यार 
कभी तकरार लिखा ,
कभी तेरी बेरुखी 
कभी आंसूओं का हार लिखा 
कभी विरह वेदना 
कभी अपना अंतर्नाद लिखा 
कभी तेरी चाहत 
कभी अपना एहसास लिखा 

हर बार तुझे ही पढ़ा 
तुझे ही लिखा 
तुझे ही सुना
तूझे ही गुना
क्योंकि
मेरी ज़िन्दगी
तुम ही तो हो !!!!!



रेवा 


15 comments:

  1. तू ही मेरी जिंदगी तू ही मेरी बंदगी
    हम अपनी अनुभूति तो लिखते हैं
    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति रेवा Sis
    हार्दिक शुभकामनायें

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (09-11-2013) "गंगे" चर्चामंच : चर्चा अंक - 1424” पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

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  3. समर्पित प्रेम की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

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  4. प्रेम रस में पगी और सुगंध वेखेरती रचना , (जी + पर अवश्य शेयर कर लिया कीजिये)

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    1. G+ par share tho kiya hai...pata nahi nazar aa rahi hai ki nahi

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  5. क्या कहने...
    बेहद खूबसूरत रचना..
    प्रेमभाव में पूर्ण समर्पित...
    :-)

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  6. प्रेम से ओत -प्रोत रचना। .... बहुत सुन्दर…

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  7. हर अहसास को छू कर गुज़र गई ...खूबसूरत रचना

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  8. भावो को खुबसूरत शब्द दिए है अपने.....

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  9. हर बार तुझे ही पढ़ा / वाह !
    my letest post ---- चाँद

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