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Saturday, February 15, 2014

माँ कि व्यथा


क्या बताऊँ सबको
कि मुझे क्या हुआ है
क्यूँ मैं सूखती जा रही हूँ ,
उस माँ कि व्यथा कैसे दिखाऊँ
जिसका मन जब तब
उस शाम को याद कर
रो पड़ता है ,
जिस शाम उसकी
दस साल कि बच्ची की
किसी वहशी ने
अस्मत लूटने की 
कोशिश कि थी ,
हर बार माँ कि आँखों
के सामने बेटी का वो
रोता हुआ चेहरा
आ जाता है ,
जब उसने कांपते कांपते
सारी  बात बतायी और
कहा था ," माँ सब बंद
कर दो , नहीं तो
वो मुझे मार देगा "
उस दिन शायद वो माँ
एक मौत मर गयी थी ,
हर वक्त उसे यही दुःख
सालता है कि वो
अपनी बच्ची कि रक्षा
न कर सकी ,
समय का पहिया
पीछे घूमता भी तो नहीं
कि वो वापस जा कर
सब ठीक कर दे ,
बस दिल रोता रहता है
और जीवन चक्र
चलता रहता है।

रेवा


15 comments:

  1. बहुत मार्मिकता लिए आपकी ये अभिव्यक्ति

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  2. बहुत मार्मिक प्रस्तुति...

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  3. Is aadhunik yug ki sachchai ki marmik prastuti

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  4. Is aadhunik yug ki sachchai ki marmik prastuti

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  5. बहुत ही मार्मिक अभिव्यक्ति।

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  6. Bahut hi sunder shabdon mein aapne kaha hai vyatha ko...bahut hi saarthak rachna!

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  7. आपकी प्रविष्टि् कल रविवार (16-02-2014) को "वही वो हैं वही हम हैं...रविवारीय चर्चा मंच....चर्चा अंक:1525" पर भी रहेगी...!!!
    - धन्यवाद

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  8. दिल को हिला देने वाली मार्मिक प्रस्तुति !

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  9. मार्मिक ... उस माँ की व्यथा का अंदाज़ लगाना मुश्किल है ... दिल को हिला जाती है रचना ...

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  10. बहुत ही मर्मस्पर्शी और कोमल भाव रचना... माँ के प्रति सुंदर समर्पण भाव..

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  11. यह केवल माँ की व्यथा नहीं समाज के हर ज़िम्मेदार नागरिक की व्यथा होनी चाहिए . मार्मिक रचना

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  12. कुछ हद तक सही चित्रण एक माँ के दर्द का
    वरना पूरा चित्रण कहाँ संभव है

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