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Thursday, April 3, 2014

पहचान

देखा इन दिनों चेहरों पे
नक़ाब कई ,
अपने ,पराये, दोस्त ,दुश्मन
इनमे  थे सभी ,
न मांगी थी मैंने
दौलत  और शौहरत कभी ,
बस चाह थी थोड़ी सी
मदद प्यार और सहारे कि
पर वो भी न दे सके
ये सभी ,
दुःख हुआ
बहाये आँसूं भी ,
पर अच्छा है
इस मुश्किल घड़ी ने पहचान करा दी सभी की ./


रेवा

15 comments:

  1. Vaaah vaaah kya baat hai :) - Rashi

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  2. बहुत सही बात कही है आपने। वक़्त पे सब पहचान में आते है।

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  3. क्या बात है, शानदार जज़्बात
    ठीक वही जो मेरे मन में घुमड़ रहे हैं कई दिनों से। आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. चलो एक पड़ाव तुम ये भी पार की
    नहीं किसी का एहसान ली
    हार्दिक शुभकामनायें

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  5. very true Rewa......har mod per ye ahsaas hota hai..

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  6. आड़े वक्त पर ही दोस्तों की पहचान होती है ! भ्रम जितनी जल्दी टूट जायें अच्छा ही होता है ! सार्थक प्रस्तुति !

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  7. आपकी लिखी रचना शनिवार 05 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  8. सत्य ही ! मुश्किल वक्त अपने पराये , अच्छे बुरे की पहचान कर देता है !

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  9. सच कहा आपने

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  10. शानदार कविता रची है आपने।

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  11. सच कहा है ... समय पहचान करा देता है अपने पराये कि ...

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