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Thursday, August 14, 2014

परवरिश या परिवेश

हम सभी माँ बाप अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं.…उन्हें हर ख़ुशी देने की कोशिश करते हैं ....... खास कर के वो ख़ुशी जिससे बचपन में हम महरूम रहे हों .....…बच्चे एक बार को हमे तकलीफ दे भी दे , पर हम कोशिश करते हैं की उन्हें कम से कम तकलीफ हो ....... पर कई बार बच्चे हमारे इस प्यार का नाजायज़ फ़ायदा भी उठाते हैं,जब उन्हें  ये लगता है की उनके लिए हमारा प्यार हमारी कमज़ोरी ,वो अच्छी तरह सीख  लेते हैं बातों के जाल बुनना और भावुक कर के अपनी बात मनवाना  और तब शायद ये प्यार उनके लिए ज़ेहर बन जाता है......उन्हें समझाने का कोई फ़ायदा ही नहीं होता उस समय। कुछ सुनने को तैयार ही नहीं होते …… हम माँ बाप की मुश्किलें यहीं नहीं खत्म होती , आजकल फेसबुक और वॉटसअप के ज़माने मे बच्चों  को सम्भालना और समझाना दोनों ही मुश्किल हो गया है....... दोष इसमे भी हमारा है,क्यों बनाने दिया अकाउंट फेसबुक पर क्यों दिलाया  मोबाइल ?जवाब कुछ नहीं होता क्युकी वो  हमे भी पता नहीं होता बच्चों की किस बात मे आकर हमने ये करने दिया,और जब देखते हैं कुछ नहीं कर पा रहे तब  फिर रास्ता बचता है सख्ती का....…शायद देर कर देते हैं हम ………क्युकी ऐसा करने से  दिल दुखता तो है ही साथ साथ डर भी लगता है की कहीं सख्ती के कारण बच्चा कुछ कर न ले ……  समझ नहीं आता  कमी कहाँ रह जाती है …"हमारी परवरिश मे या आज के परिवेश मे " या बच्चे होते ही ऐसे हैं ? या गलती हमारी ही होती है।


रेवा 

9 comments:

  1. बिल्कुल सही लिखा आपने ।
    परवरिश में कहीं कोई कमी नहीं होती। ना ही
    हमारे बच्चे एैसे हैं। मेरे ख्याल से तो ये सब आज के परिवेश का ही कमाल है।

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (15.08.2014) को "विजयी विश्वतिरंगा प्यारा " (चर्चा अंक-1706)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  3. खोट कहीं नहीं है---सिवाय हमारी सम्वेदनहीनता ही जिम्मेदार है वरना
    परिवर्तन समय की चाल-पहचान होती ारहै.
    मेरे विचार.

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  4. बहुत सही कहा आपने .....

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  5. aap sabne apne vichar rakhe bahut bahut shukriya

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  6. सच तो यही है की आज परवरिश पर परिवेश हावी हो रहा है ..
    चिंतनशील प्रस्तुति

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  7. समय चक्र आगे चलता है...हमारे-आपके पकड़ने से रुकने वाला नहीं...हर काल में द्वैत रहा है...साथ रहते हैं अच्छा भी बुरा भी...

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