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Tuesday, November 18, 2014

आधुनिक युग में बच्चों को पालना एक सबसे बड़ी चुनौती

इस आधुनिक दौर मे बच्चों का सही तरीके से पालन पोषण करना बहुत कठिन कार्य हो गया है।एक ओऱ बच्चों में अच्छे संस्कार देना जरूरी है तो दूसरी ओऱ उन्हें अनुशासित रखना और उनके दोस्त बने रहना भी बहुत जरूरी है। आजकल बड़ों के पाँव छुना , पूजा करना ,ये बचपन मे बच्चे फिर भी सुन लेते हैं ,पर बड़े होने के बाद पुराने ज़माने की सोच कह कर टाल देते हैं। रही सही कसर आजकल इन्टरनेट ने पूरी कर दी है ,जहाँ ये ज्ञान का भंडार है वहीँ बच्चों को बिगाड़ने का सबसे बड़ा साधन ,इसमे गेम्स ,फेसबुक और भी बहुत कुछ है। एक ओर बच्चों के विकास के लिए कंप्यूटर जरूरी है तो वहीँ इन सबसे उन्हें बचाना मुश्किल। मोबाइल फ़ोन एक दुसरी चिंता का विषय बन गया है ,ये भी समय पर देना जरूरी है क्युकी टूशन और एक्स्ट्रा एक्टिविटी के लिए वो सारे दिन बाहर रहते हैं। पर इसके दुष्परिणाम भी बहुत हैं। बच्चे सारा सारा दिन उसी मे लगे रहते हैं ,सार ये है की हमे सब देना भी है और उन्हें उनके दुष्परिणाम से जागरूक भी रखना है ,जोकि सबसे बड़ी चुनौती है। मुश्किल अभी यहीं नहीं  खत्म होती ,बच्चों की ज़िद जो तक़रीबन हर माँ बाप की सबसे बड़ी मुसीबत  है ,जो आजकल देखा -देखी  हर दूसरी चीज़ के लिए होती है, जिसे पूरा करना मुश्किल है और समझाना उससे भी बड़ी मुसीबत ,हम माँ बाप की भी बहुत जगह गलती होती है ,हम बच्चे को हर छेत्र मे अव्वल देखना चाहते हैं ,पढाई खेलखुद और न जाने क्या-क्या और उनपर इसके लिए प्रेशर डालते हैं । 

"कुल मिला कर हर चीज़ मे एक बैलेंस होना बहुत जरूरी है , तभी हम उन्हें देश का एक अच्छा और  सच्चा नागरिक बना पाएंगे"। 

रेवा 



11 comments:

  1. बहुत सार्थक प्रस्तुति...बच्चों के पालने में संस्कारों और आधुनिकता में संतुलन बनाना निश्चय ही आज माँ के सामने सबसे बड़ी चुनौती है...

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  2. उम्दा लेख और उसमें उठाए गए मुद्दे |

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  3. आधुनिक़ वैज्ञानिक उपकरण दो धारी तलवार है | एक और बच्चों को ज्ञान प्राप्ति में सहयोग करता है ,उनको कार्य कुशल,सक्षम बनाता है वहीँ दुसरी तरफ प्राचीन संस्कृति दूर कर देते हैं | नैतिक शिक्षा से अलग कर देते है ! सही लिखा है आपने |
    आईना !

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  4. सार्थक आलेख
    उत्क्रस्ट प्रस्तुति

    सादर

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  5. सार्थक लेख ..
    बहुत अच्छा लिखा है..

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