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Friday, March 6, 2015

कोई और रंग



नहीं चढ़ता अब कोई और रंग
उस एक रंग के चढ़ने के बाद ,
चेहरे का रंग लाल हो गया
उसके एक स्पर्श के साथ ,
साँसें गुलाबी हो गयी
आलिंगन मे समाने  के बाद ,
मैं राधा और वो कान्हा बन गया
इस प्यार की डोर के साथ !

रेवा


15 comments:

  1. बहुत सुंदर . होकी की शुभकामनाएं !
    नई पोस्ट : मी कांता बाई देशमुख आहे

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  2. abhar mayank ji....apko bhi holi ki dheron shubhkamnayein

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  3. sach me ...preet ka rang hi aisa hota hai ...

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  4. बहुत सुन्दर ,प्यार का रंग तो सदैव एक ही होता है चाहे वह कभी ही हो किसी से भी हो

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  5. प्रीत का पक्का रंग नही उतरता ...सुंदर प्रस्तुति

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  6. वाह, बहुत खूब

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  7. Sundar aur prasangik rachna...holi ki shubhkamnaye :)

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    1. shukriya Ankur ji...apko bhi holi ki dhero shubhkamnayein

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  8. राधा कृष्ण हो जाना ही नियति है जीवन की ... जितना जल्दी हो सके ...
    सुन्दर भावमय रचना ...

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