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Tuesday, September 29, 2015

क्या है मेरी पहचान ??



आज मन मे एक सवाल ने दस्तक दिया
क्या है मेरी पहचान ?

रसोई मे अच्छा खाना बनाना
और फिर तारीफ सुन खुश हो जाना ,
या मेरा व्यवस्थित घर
जिसे कभी अव्यवस्थित
रखने की गुंजाइश नहीं ,
या बच्चों की परवरिश
जो अब बड़े हो गए हैं
और अपनी दुनिया मे मस्त
क्या है मेरी पहचान ?

पति का घर लौटने का इंतज़ार
और उनका थका चेहरा जो
बिन बात किये
खा कर सो जाते है ,
या बच्चों की फटकार
उनके कमरे और पर्सनल
लाइफ से  बेदखली
क्या है मेरी पहचान ?

ससुराल मे मेरे उठाये गए
हर कदम पर प्रश्न
या घर की बचत पर
उठते सवाल
क्या है मेरी पहचान ?

मेरे मन का अंतर्नाद
या घर का वो कोना
जहाँ बैठ मैं करती हूँ
रात दिन खुद से
अनगिनत युद्ध
क्या है मेरी पहचान ??

रेवा



19 comments:

  1. हर नारी, जो रात दिन इन सवालों में घिरी आपकी ही तरह अपनी पहचान ढूँढ रही है, आपकी मुखापेक्षी है ! जब आपको इन सवालों के जवाब मिल जाएँ तो कृपया एक पोस्ट में उन्हें भी ज़रूर डाल दीजियेगा ! शायद कई नारियों को अपनी खोई हुई पहचान मिल जाए ! बहुत सुन्दर रचना !

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    1. sadhana ji shukriya.....par pata nahi kab milengay jawab

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  2. नारी मन में घुटते अनेक प्रश्न जिनका कोई सटीक उत्तर नहीं...दिल को छूती बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  3. ​कुछ प्रश्नों का मनवांछित जवाब न मिलना कई प्रश्नों की जिज्ञासा खड़ी कर देता हैं,हालांकि बहुत महीन फर्क हैं प्रश्न और जिज्ञासा में पर हल मिलना नवचेतना के आगमन जैसा हो

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  4. ​कुछ प्रश्नों का मनवांछित जवाब न मिलना कई प्रश्नों की जिज्ञासा खड़ी कर देता हैं,हालांकि बहुत महीन फर्क हैं प्रश्न और जिज्ञासा में पर हल मिलना नवचेतना के आगमन जैसा हो

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  5. बराबर अधिकार .....नारी मुक्ति ....शब्द बड़े अच्छे हैं मगर कदम फीके ....मगर हो रहा है ....कोई अधिकार देगा नहीं ख़ुद नारी को लेने पड़ेगे ...बहुत सुंदर रचना पर बधाई

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  6. मनोभावों को प्रश्नो के रूप में बड़ी सहजता और सुंदरता के साथ उकेर दिया आपने... रेवा जी

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  7. यहीं नहीं ... सवाल तो अनगिनित हैं
    http://savanxxx.blogspot.in

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  8. सच है न जाने कितने सवाल अनुत्तरित है । सुन्दर कविता

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  9. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार 01 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  10. बहुत सुंदर भावनायें

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  11. इसी पहचान की तलाश में एक सफल गृहणी,एक सफल पत्नी ,,एक सफल माँ अपना सब कुछ झोंक देती है और सोचती है मुझे क्या मिला ?????
    इसका उत्तर व्यवस्थित घर देता है,पति का चेहरा देता है,सफलताओं की श्रेणी में खड़े बच्चे देते हैं,सास का स्नेह,ससुर की तारीफ़ देते हैं---
    बस यही तो सार्थक और पीढीगत पहचान है --

    वैसे आपकी कविता में मन का अनकहा सच है जो पुरुष को सचेत करता है
    बेहद सुंदर कविता
    सादर

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  12. ज्योति खरे जी बहुत बहुत शुक्रिया

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  13. क्‍या है मेरी पहचान..., बेहद सुंदर रचना।

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  14. jamshed ji blog par swagat hai apka.....shukriya

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