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Monday, October 19, 2015

समुन्द्र


जब दूर दूर समुन्द्र पर
नज़र पड़ती है
तो प्रतीत होता है
समुन्द्र क्षितिज से
मिलने को बेताब है
पर उसकी
नियति ही है विरह .......

इसलिए तो
हर बार कोशिशें
नाकाम  हो जातीं हैं
और समुन्द्र की
लहरों को
किनारे की पनाह मिलती है !!!

रेवा

Wednesday, October 14, 2015

भिन्नरूप



शुरू हुए नवरात्र
आओ सब मिल पूजे
देवी शक्ति के
अनुपम रूप को  ,
युद्ध कर जिसने
किया संहार दानव स्वरुप को  .......

पर इस बार
चलो हम मनाये
इसके भिन्नरूप को    ,
युद्ध करें अपने अन्दर
के दानवों से
औ उजागर करें अपनी
दैवीय शक्ति प्रतिरूप को .......

अगर करें आज हम सब
ये प्रण
तो सार्थक होगा
अपना ये जीवन ………

शुभ नवरात्र


रेवा