प्यार शब्द खुद मे इतना प्यारा है की इसे किसी परिभाषा की ज़रूरत नहीं ……ये एक एहसास है जो बस महसूस किया जा सकता है,पर इसके साथ ये भी सच है की प्यार की बड़ी बड़ी बातें सभी लोग कर लेते है……पर सच्चा प्यार बहुत कम लोगों के नसीब मे होता है……ये भी माना के प्यार दर्द भी देता है पर अगर ये सच्चा है तो संतुष्टि भी देता है…ऐसा प्यार हमे प्रभु के और करीब ले जाता है …ये मेरी भावनाएं और एहसास , इन्हीं को शब्द देने की कोशिश है मेरी …....
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Monday, October 19, 2015
समुन्द्र
जब दूर दूर समुन्द्र पर
नज़र पड़ती है
तो प्रतीत होता है
समुन्द्र क्षितिज से
मिलने को बेताब है
पर उसकी
नियति ही है विरह .......
इसलिए तो
हर बार कोशिशें
नाकाम हो जातीं हैं
और समुन्द्र की
लहरों को
किनारे की पनाह मिलती है !!!
वक़्त ना जाने कब कैसे वक़्त बे साख्ता उड़ा जैसे पंख फैलाये आसमां में फाख्ता उड़ा मिट गयी ना जाने कैसी कैसी हस्तियां जब जब जिससे भी इसका वास्ता पड़ा बदलने चले थे कई सिकंदर और कलंदर ख़ाक हुए जिसकी राह मैं यह रास्ता पड़ा मत कर गुरूर अपनी हस्ती पर ऐ RAAJ कुछ पल उसे देदे सामने जो फ़कीर खड़ा
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसच अपनी परिधि नहीं भुलानी चाहिए ...अपने करीब कौन है उनकी क़द्र जरुरी है ,,
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
लाजवाब अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteराजपूत जी शुक्रिया
Deleteआभार मयंक जी
ReplyDeleteशुक्रिया
ReplyDeleteबहुत सुंदर .विजयादशमी की शुभकामनाएं !
ReplyDeleteनई पोस्ट : बीते न रैन
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteवक़्त
ReplyDeleteना जाने कब कैसे वक़्त बे साख्ता उड़ा
जैसे पंख फैलाये आसमां में फाख्ता उड़ा
मिट गयी ना जाने कैसी कैसी हस्तियां
जब जब जिससे भी इसका वास्ता पड़ा
बदलने चले थे कई सिकंदर और कलंदर
ख़ाक हुए जिसकी राह मैं यह रास्ता पड़ा
मत कर गुरूर अपनी हस्ती पर ऐ RAAJ
कुछ पल उसे देदे सामने जो फ़कीर खड़ा