Pages

Wednesday, August 31, 2016

चंदा और चाँदनी का प्यार



चंदा ने आज लजाते हुए
सुनाई मुझे
अपनी चाँदनी से हुई मुलाकात........
पुर्णिमा कि हर रात
चंदा और चाँदनी की
होती है प्यार भरी बात !!
उसके बाद धीरे धीरे
चाँद हो जाता है मसरूफ़
और चांदनी उदास........
अमावस के दिन तो
बंद ही हो जाती है उनकी बात
पर चाँद भी ठहरा मजनू  ,
मना ही लेता है अपनी लैला को
फिर खिल उठता है दोनों का प्यार ........
और धरती को भी  मिल जाता है तब
जगमगाहट का उपहार !!!

रेवा

10 comments:

  1. चंदा और उसकी चांदनी के प्यार से ये जग उजियारा ...
    बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (01-09-2016) को "अनुशासन के अनुशीलन" (चर्चा अंक-2452) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete
  4. आहा वहा ...चंदा और चांदनी का अमर प्रेम

    ReplyDelete
  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 09 सितम्बर 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  6. सुन्दर! प्रकृति का मानवीकरण ,आभार।

    ReplyDelete