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Thursday, September 22, 2016

शादी का जोड़ा




आज अचानक
सफाई करते करते
अपनी शादी का जोड़ा
दिख गया .....
उसे देख
एक अजीब सी
सिहरन महसूस हुई ....
उसे हाँथ मे लेकर
सहलाया
ह्रदय से लगाया तो
एक क्षण मे
बाबुल का आँगन
याद आ गया....
माँ की एक एक
सीख
पिता का दुलार
बड़े भाई बहन  से
अनबन
सहेलियों का प्यार
सब
आँखों के आगे
घूमने लगा,
फिर इस जोड़े
को पहन
पिया के घर
अपना पहला कदम .....

पहली संतान
का जन्म उत्सव
इन सब पलों मे
ये मेरे साथ था
आह !अदभुत एहसास
इस एक जोड़े
ने मेरे कितने
लम्हे सहेज रखें हैं !!!

रेवा

19 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (24-09-2016) को "जागो मोहन प्यारे" (चर्चा अंक-2475) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. मधुर स्मृतियां इस जोड़े की जुड़ी रहें.
    बहन और पहन को सही कर लें!

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    1. shukriya vani ji.....galtiyon par dhyan dilwane kay liye abhar

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  3. सुन्दर रचना

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  4. बहुत सुंदर रचना
    कम ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं

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  5. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  6. ऐसा ही होता है , बहुत सुन्दर लिखा

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  7. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "भूली-बिसरी सी गलियाँ - 8 “ , मे आप के ब्लॉग को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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