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Tuesday, January 24, 2017

अजनबी आवाज़





इतने सालों के साथ
और प्यार के बाद ,
आज एक अजीब सी
हिचकिचाहट
महसूस हो रही है ,

तेरी  वहीँ
रूहानी आवाज़
जिस पर मैं मरती हूँ
अजनबी सी
लगने लगी  ,

समझना नामुमकिन
सा हो गया है की
ऐसा क्यों
क्या मेरी सोच मे
फर्क आ गया  !
या हालात ने करवट
बदल ली ..............

"जैसे भी हों हालत-ओ -जज़्बात
रिसते हैं दिल के ज़ख्म
बन कर एक अनकही फरियाद "

रेवा

17 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 25 जनवरी 2017 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. रिसते जख्मों के साथ ... प्रेम की गर्माहट भी रिस जाती है ...
    गहरा लिखा है ...

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  3. आपकी इस प्रस्तुति की लिंक 26-01-2017को चर्चा मंच पर चर्चा - 2585 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  4. गहरे भाव दर्शाती रचना

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  5. गहरे भाव दर्शाती रचना

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  6. सुन्दर शब्द रचना
    गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  7. वक्त बदलने के साथ सोंच भी बदल ही जाती है .....अंतर्मन को छूती रचना

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