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Wednesday, April 12, 2017

मेरा वज़ूद




अपने शरीर से आज
झाड़ ली है मैंने
वो सारी कही अनकही
बातों की धूल  ,
अब मुझे साफ़
दिख रहा है
अपना  वजुद ,
पर घर की तरह
इस धूल को भी
मुझे रोज़ झड़ना होगा ,
वार्ना ये फिर
मेरे शरीर को अपना
बना लेंगे
और धुँधला जायेगा
मेरा वज़ूद

रेवा


8 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 13-04-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2618 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "नयी बहु - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. प्रभावशाली प्रस्तुति...
    मेरे ब्लॉग की नई प्रस्तुति पर आपके विचारों का स्वागत।

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  4. बहुत सुन्दर

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