मेरे आंगन के कोने में
एक बहुत प्यारी छोटी
कोमल सी चिड़ियाँ ने
घोंसला बनाया था
मैं जब भी आंगन में बैठती
वो फ़ुर्र उड़ कर आ जाती
फुदकती रहती और
अपनी ची ची
से मन मोह लेती
पूरा घर उसकी
हरकतों से ज़िन्दगी
से भर जाता
एक बहुत प्यारी छोटी
कोमल सी चिड़ियाँ ने
घोंसला बनाया था
मैं जब भी आंगन में बैठती
वो फ़ुर्र उड़ कर आ जाती
फुदकती रहती और
अपनी ची ची
से मन मोह लेती
पूरा घर उसकी
हरकतों से ज़िन्दगी
से भर जाता
पर ये पता न था की
कोई और भी नज़र
रखे हुए है इन सब पर
एक दिन मेरी बैठे बैठे
आँख लग गयी
तभी एक कौवा आया
चिड़ियाँ को मुंह में दबाने की
कोशिश करने लगा
उसकी दर्द भरी आवाज़ से
मेरी तंद्रा भंग हुई
किसी तरह चिड़ियाँ को बचाया
उसके घाव पर मरहम लगाया
पर वो डरी सहमी उड़ना कम
कर दिया
मेरे आस पास ही फुदकती थी
कोई और भी नज़र
रखे हुए है इन सब पर
एक दिन मेरी बैठे बैठे
आँख लग गयी
तभी एक कौवा आया
चिड़ियाँ को मुंह में दबाने की
कोशिश करने लगा
उसकी दर्द भरी आवाज़ से
मेरी तंद्रा भंग हुई
किसी तरह चिड़ियाँ को बचाया
उसके घाव पर मरहम लगाया
पर वो डरी सहमी उड़ना कम
कर दिया
मेरे आस पास ही फुदकती थी
लगा उसे उठा कर पिंजरे में
डाल दूं, ताकि वो सुरक्षित रहे
पर ऐसा नही किया
उसके पंख, पंजो
और चोंच को फिर से
मजबूत करना शुरू किया
उसे हाथ में उठा उड़ा देती
धीरे धीरे उसने
डरना छोड़ दिया
डाल दूं, ताकि वो सुरक्षित रहे
पर ऐसा नही किया
उसके पंख, पंजो
और चोंच को फिर से
मजबूत करना शुरू किया
उसे हाथ में उठा उड़ा देती
धीरे धीरे उसने
डरना छोड़ दिया
अब वो उन्मुक्त हो
उड़ती है आकाश में
बिना रुके बिना थके
बिना डरे ....
उड़ती है आकाश में
बिना रुके बिना थके
बिना डरे ....
रेवा
प्यार की भाषा सभी जीव आसानी से समझ जाते हैं
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी प्रस्तुति
जी कविता जी शुक्रिया
Deleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सुरैया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteshukriya
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-02-2018) को "सरस रहा मधुमास" (चर्चा अंक-2867) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार मयंक जी
Deleteआपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं
शुक्रिया कविता जी
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
बधाई
आभार jyoti sir
DeleteIts such a wonderful post, keep writing
ReplyDeletepublish your line in book form with Hindi Book Publisher India
Its such a wonderful post, keep writing
ReplyDeletepublish your line in book form with Hindi Book Publisher India
thank u
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