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Friday, June 15, 2018

योगी




ऐसा क्यों महसूस होता है की
मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है
वो तुम ही थे न
जो रोज़ ख़्वाबों में आकर
मेरे दिल की सफ़ाई कर
प्यार का दीप जला जाते थे
कई बार तुम्हें रोकना चाहा
पर तुम वो योगी थे
जो चाहते थे कि मेरा प्यार में
विशवास बना रहे
इसलिए अलख जागते रहे
लेकिन बदले में कभी कुछ भी न चाहा
पर बिना चाहे ही
तुम्हारे सांसों की खुश्बू
बस गयी है मेरे सांसों में
तेरे दिल की गुफा में अब मैं
आराम करना चाहती हूं
ओ मेरे योगी ख़्वाबों से इतर
हकीक़त बन कर आओगे न !!!!

रेवा

6 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-06-2018) को "मौमिन के घर ईद" (चर्चा अंक-3003) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस - अभिनेत्री सुरैया और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  3. सुन्दर रचना

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