याद है आज भी मुझे
वो पहली बरसात
जो मेरे जीवन की
पहली बौछार नहीं थी
पर फिर भी खास थी
जो मेरे जीवन की
पहली बौछार नहीं थी
पर फिर भी खास थी
तुमने पूछा था उस दिन
सुनो, कभी भीगी हो
बारिश में ??
मैंने कहा नहीं
मुझे पसंद नहीं
तुमने कहा,
अरे
बूंदों से किस बात का बैर
आसमान से बरसते प्यार
में भीग कर तो देखो
बूंदों से प्यार न हो जाये
तो कहना
जाने क्यों पर
बात मान ली तुम्हारी
सुनो, कभी भीगी हो
बारिश में ??
मैंने कहा नहीं
मुझे पसंद नहीं
तुमने कहा,
अरे
बूंदों से किस बात का बैर
आसमान से बरसते प्यार
में भीग कर तो देखो
बूंदों से प्यार न हो जाये
तो कहना
जाने क्यों पर
बात मान ली तुम्हारी
खूब भीगी थी उस दिन
तन तो भीगना ही था
पर उस दिन की
बरसात में मन भी
भीग गया !!!
तन तो भीगना ही था
पर उस दिन की
बरसात में मन भी
भीग गया !!!
रेवा
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (20-06-2018) को "क्या होता है प्यार" (चर्चा अंक-3007) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
शुक्रिया
Deleteपहली बरसात पिया संग क्या कहने
ReplyDeleteबहुत खूब!
शुक्रिया
Deleteवाआआह बहुत ही शानदार
ReplyDeleteशुक्रिया
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