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Friday, January 24, 2020

जल रहा है देश मेरा





जल रहा है देश मेरा
जल रहा है घर मेरा
इंसान को इंसान समझो
मज़हबों में न बांटो
वो बैठे हैं ऊँची कुर्सियों में
उनका मज़हब उनका धर्म
उनका ईमान बस
पैसा और कुर्सी
इसे समझो
ऐ कुर्सी वाले बख्श दो
देश के भविष्य को
बख्श दो हमारे बच्चों को
जिस देश में है बसेरा
चिड़ियों का उस देश को
गिध्दों का बसेरा न बनाओ
बहुत मुद्दे हैं देश के सामने
उनसे लड़ने के बजाय
लोगों को लड़वाना बंद करो
ये रक्त पात बंद करो
बंद करो बंद करो



7 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 25 जनवरी 2020 को साझा की गई है...... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जय मां हाटेशवरी.......

    आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
    आप की इस रचना का लिंक भी......
    26/01/2020 रविवार को......
    पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
    शामिल किया गया है.....
    आप भी इस हलचल में. .....
    सादर आमंत्रित है......

    अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
    http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
    धन्यवाद

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  3. सार्थक रचना

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  4. thank you for this amazing article, keep writing more post like this.

    we will be waiting.......

    how to find happiness within yourself?

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