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Sunday, February 2, 2020

फरियाद




शायद और कोई फरियाद 
भी माँगी होती तो आज 
पूरी हो जाती 

पता नहीं था सुबह मुझे के 
आज का दिन इतना 
ख़ास हो जाएगा 

आने वाले जन्मदिन के इंतज़ार 
में मैं वैसे ही खुशी के खजाने 
से भरी हुई थी 

चकित करने वाली बात ये थी
की आज मेरे बातों के साथी 
से मेरी एक छोटी मुलाकात हुई 
उस मुलाकात में उसकी 
कही बात ने मुझे 
दोबारा उससे प्रेम करने पर 
मजबूर कर दिया 

बात करते समय वो मुझे 
देखे जा रहा था 
जैसे कितने जन्मों बाद 
हम मिले हों
पर फिर एकदम 
अचानक गायब हो गया 

जब दोबारा बात हुई तो उसने कहा 
"तुमको और नहीं देख सकता था 
मेरी आँखें भरने लगी थी "

उसके इस कथ्य ने कितना 
कुछ कह दिया मुझसे 
यही तो है प्रेम बस प्रेम

#रेवा 

8 comments:

  1. अथाह प्रेम,
    प्रेम जो अमर हो वही
    प्रेम वो जो परिस्थितियों से हारे नहीं वही.
    सुंदर व्रतांत.

    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है- लोकतंत्र 

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (03-02-2020) को 'सूरज कितना घबराया है' (चर्चा अंक - 3600) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव



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  3. बातों के साथी से मुलाकात और फिर प्रेम
    वाह!!!
    मन बाँधकर रखने वाला लाजवाब सृजन

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    1. बहुत शुक्रिया आपका

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  4. बेहतरीन प्रस्तुति

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