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Thursday, May 28, 2020

हमारे सच्चे दोस्त




ये पौधे हैं न 
कभी भेद भाव नहीं करते 
पानी नाराज़गी से 
डालो या प्यार से 
ये अपनी पत्तियों के हरेपन 
और फूलों की खिलखिलाहट से 
मन खुश कर ही देते हैं 

ये चाँद है जो हर रात 
नज़र आता है आसमान पर 
और कभी कभी 
दिख जाता है खिड़की से भी 
ये हमारे मिज़ाज़ को नज़रअंदाज़ कर देता है 
दिन चाहे जैसा भी बिता हो 
ये हर रोज़ अपनी चांदनी की ठंडक 
भेज थपकी दे के कर सुला देता है 

ये कागज़ और कलम हमेशा साथ देते हैं 
जब मन दुखी हो तो दुख बयां कर देते हैं 
जब खुश हो तो ये अक्षर 
हँस कर खुशी भी बयान कर देते हैं
ये अपेक्षाएं नहीं रखते 
जज तो बिल्कुल भी नहीं करते 
न कोई वाओ फैक्टर ढूढते हैं 
हम जैसे हैं हमें वैसे ही स्वीकार 
कर हमेशा मान देते हुए 
एक सच्चे दोस्त का फर्ज 
बाखुबी निभाते हैं 

आज इस कविता के जरिये मैं हमारे 
इन सच्चे दोस्तों को धन्यवाद देती हूँ 

Tuesday, May 19, 2020

कैलक्यूलेटर





तुम्हें पता है 
आज के जमाने में 
कैलक्यूलेटर का काम 
बहुत बढ़ गया है 
पहले तो ये सिर्फ 
हिसाब किताब में काम 
आते थे 
और समय बचाते थे 
पर अब तो ये लोगों के
रिश्तों को 
कैलकुलेट करने के काम आते हैं 

मिलने से पहले ही दिमाग 
कैलकुलेशन करने लगता है
कौन कितना काम आएगा 
किसे कहाँ कैसे इस्तेमाल 
करना है
कहाँ कितना किसे घटाना है
और कहाँ बढ़ाना
कहाँ गुना किया जा सकता है
और कहाँ विभाजित    
फिर उसी हिसाब से रिश्तों की 
उष्मा तय होती है 

तो बोलो 
है न ये कमाल की चीज़ 

#रेवा