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Monday, April 20, 2009

मेरी क्या खता है....

आँसू  है की रुकने का नाम नहीं ले रहे ,
दिल बार बार भर आता है..

इसे क्या समझाउं कैसे समझाउं की ,
इसने जिसे अपना सब कुछ मान लिया है ,
जिसके लिए ये दिन रात बेक़रार रहता है ,
वही उसे दुःख देगा ....

जिसके एक ख्याल से एक पैगाम से ये खुश हो जाता है ,
वो उसे दुःख देगा .....

जिसकी एक आवाज़ में ये जीने लगता है
जिसके  इंतज़ार में वक़्त थम जाता है ,
वो उसे दुःख देगा ....

जिसके बिना वो अपने आप को अधूरा महसूस करता है
जिसके मिलने की आस मे वो जी रहा है ,
वो उसे दुःख देगा ....

अपने आप को तो समझा भी लूँ पर इस दिल का क्या करू ,
जो कुछ समझने को तैयार ही नहीं...

इतना दुखी है की न आँखों मे नींद है न इसे चैन ,
बस एक सवाल है ,
मेरी क्या खता है ,
मेरी क्या खता है......

रेवा 

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