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Monday, April 20, 2009

प्यार...दवा भी,दर्द भी

जब तू पास हो तो प्यार मे मन बेचैन हो जाता है ,
जब दूर हो तो दर्द मे मन बेचैन हो जाता है.....

कभी ये ऑंखें प्यार मे सरोबर छलकने लगती है ,
तो कभी विरह मे रोती है......

कभी उसकी प्यारी बातें मन को गुदगुदा देती है ,
तो कभी उसकी ख़ामोशी जान ले लेती है........

कभी उसका प्यार जीवन मे दुगना आनंद भर देता है ,
तो कभी उसकी दुरी मात्र  का एहसास जीवन मे दर्द भर देता है......

यह प्यार का कैसा एहसास है , दवा भी देता है और दर्द भी .....

रेवा 

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