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Saturday, April 18, 2009

मत कर ..........

मेरा मन कई बार मुझसे कहता है 
तू खुद को खुद से दूर मत कर 
मत डूबा अपने आप को ऐसी चाहत में  
मत कर उसे इतना याद की 
फिर तुझे कुछ याद ही न रहे 
मत तरस उसकी बातें सुनने को इतना 
के फिर तुझे और किसी की बातें सुकून न दे ,
मत देख उसके इतने ख़्वाब कि फिर 
तेरी आँखों को और कोई ख़्वाब ही न दिखे ,
मत कर उसे इतना प्यार 

कि फिर तुझे उसके सिवा और 
किसी से मोहब्बत ही न हो ,
मत तड़प उसकी बाँहों में सिमटने को इतना 
के फिर तू , तू ही न रहे ,
मत कर उसका इतना इंतज़ार 
के फिर तुझे और कोई नज़र ही न आये ,
मत कर उसे इतना प्यार 
मत कर। .... 


रेवा 

2 comments:

  1. awesome...u seems to b improving day by day...

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  2. "Maat kar usee itna pyar ....kay fir tujhe uske siva aur koi nazar hi na ayeee......."

    the above line can b improved as follows

    "Maat kar usee itna pyar ....kay fir tujhe uske siva aur kisi se Mohabbat hi na ho.......

    Maat dekh uska itna intezaar ....kay fir tujhe uske siva aur koi nazar hi na ayeee......."

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