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Thursday, July 2, 2009

प्यार

प्यार एक ऐसा जज्बा है
जिसकी कोई सीमा निर्धारित नही
न शुरुआत है न अंत
न इसकी गहराई का पता चलता है

यह तो ऐसा एह्स्सास है
जो बस महसूस किया जा सकता है

इस जज्बे में एक पल में
पुरी ज़िन्दगी जी जा सकती है
और एक ही पल मैं मौत का
एह्स्सास भी हो सकता है........

रेवा


1 comment:

  1. आपकी कविता 'प्यार' की परिपूर्ण सत्यता को उजागर कर रही हे ,
    "प्यार" को इन्ही अहसासों से "प्रभु" के सामान जाना जाता हे जी !

    "प्यार" के एकपल मै जिंदगी को जीना, पूर्ण अहसास मै खुद का खोना हे ;
    दीवाना बना रही हे बेताब कर रही हे 'रूहानी-प्यार' पर ले जाती हे ये कविता !

    प्रभु आपको आगे भी समर्थ दे , जो आप अपने दोस्तों वा समाज को अच्छी अच्छी कवितायेँ दे ...आपको कविता लिखने की मुबारकबादी वा आभार !

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