ओस की बूंद सी है
मेरी ज़िन्दगी
सिमटी सकुची
खुद में ,
अकेले तन्हा
पत्ते की गोद
पर बैठी ,
सूर्य की
किरणों के साथ ,
चमकती, दमकती,
इठलाती
मन में कई
आशाएं जगाती,
हवा के थपेड़ो को
झेलती, सहती
फिर उसी मिट्टी में
विलीन हो जाने को
आतुर रहती ....
ओस की बूंद सी है
मेरी ज़िन्दगी
रेवा
ek or sunder kavita ke liye badhayee !
ReplyDeleteKitna nazuk khayal hai!
ReplyDeleteGantantr diwas kee anek shubhkamnayen!
Kavita:
ReplyDelete""ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी
सिमटी सकुची खुद मे,
अकेले तनहा पत्ते की गोद पर बैठी ,
सूर्य के किरणों के साथ ,
chamkti , दमकती, इठलाती ,
मन मे कई आशाएं जगाती,
हवा के थपेड़ो को झेलती , सहती ,
फिर उसी मिटटी मे विलीन हो जाने को आतुर रहती ...................
ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी ""
Jawab !
ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी
सिमटी सकुची खुद मे,
अकेले तनहा पत्ते की गोद पर बैठी ,
सूर्य के किरणों ko man mey samete,
chamkti , दमकती, इठलाती ,
मन मे कई आशाएं जगाती,
'मन ही मन' किरणों को पा ,
बाजुओं मै भर भर जाती ,
बदलियों पे छा भीतर तक ,
इन्द्र -धनुष बन जाती ,
ओस की बूंद सी है मेरी ज़िन्दगी
मेरी खुद की रंग-बिरंगी जिंदगी !!
maine apki kavita mey ek chota sa ummeed ka baaz dala hey bas , dekho aab apki kavita sachchi mey gaal-gulabi kar rahi hey !
Dekha na Dadu ka kamal !!
Aap bahut achcha likhti ho Rewa , meri Shubh-kamnayen va aashirvaad !
....deep !
Very beautiful poem .. Pradeep's comment is very authentic and so that mine too !
ReplyDeleteek pyari kavita .. really
ReplyDeletejindagi sabki ek ons ki boond hee hoti hai
ek saaans hee hoti hai
wo boond wo saans ruki tho jindagi ruki
ithlana [happyness]
hawa ke thapede khana [sadness]
yahi sabko sehte huey bhi haste huey pyar
se sooraj ki roshini ko paate huye
iss mitti mey miljana hee jeewan hai.
haste raho jabtak jiyo yahi ons ki booond
sikhati hai hamey....
sunil uf friend
सुंदर.
ReplyDeletesuperb maam
ReplyDeletethis can only come from the nib of a genious