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Tuesday, August 3, 2010

दर्द और बरसात

बदरा उमड़ती है बरसात आती है
तेरी यादें अपने साथ लाती है
आँखों को आँसुओं मे डुबो जाती है
दर्द के वेग में दिल की कश्ती डूब जाती है
सपनों के कोपल फूटने से पहले ही
उस वेग में विलीन हो जाते हैं
क्योंकी ये तू भी जानता है
और मै भी की , इस जन्म हमारी
हर बरसात हमारे लिए बस यही
तोहफा लेकर आयेगी

रेवा

8 comments:

  1. बदरा उमड़ती है बरसात आती है
    तेरी यादें अपने साथ लाती है
    आँखों को आँसुओं मे डुबो जाती है
    दर्द के वेग में दिल की कश्ती डूब जाती है
    Barsaat na jane kis kis ke liye kya,kya tohfe laati hai..barsaat aur ek kasak...barsaat aur rumaniyat...in donoka to bahut gahra, sadiyon purana nata hai.Aapne badi khoobsoortee se ise bayaan kiya hai.

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  2. bahot khub sach me dard bhi barasat ki tarah hi hotaa hai

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  3. wah!!!!!!!!! bahut khoobee se dard ko ukera hai especially yeh lines gazab ka ahesaas karatee hain
    क्योंकी ये तू भी जानता है
    और मै भी की , इस जन्म हमारी
    हर बरसात हमारे लिए बस यही
    तोहफा लेकर आयेगी

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  4. बहुत सुंदर ,...उम्दा...!!

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  5. bahut sundar bhawa dard aur kise ki yad ka.. barsat me apno ki yaad ahi jati ha..jo dil ke karib hota hain...nice.

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