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Wednesday, August 11, 2010

यादों की पंखुड़ियाँ



अंतिम लाइन मैंने कहीं पढ़ी थी,वो ही इन पंक्तेयों की प्रेरणा स्रोत है l

तेरी यादों की पंखुड़ियों को मैंने
अपनी दिल की डायेरी मे सहेज
कर रखा है ,
जब तेरी यादें
अपनी सारी हदें तोड़ कर 
तड़पाने लगती हैं तो 
उन पंखुड़ियों पर
कुछ ओंस की बूंदें भी पड़ जाती हैं ,
पर आज क्यूँ उन पंखुड़ियों से अपने
दिल को बहलाने मे नाकाम हो रही हूँ ,
क्यों ओंस की बूंदे जलधार बनने
को आतुर हो रही हैं ,
शायद आज ये मिलन की आस
लगा बैठीं हैं , 
इन्हें क्या बताऊ की
हमारी मुहोब्बत मे ये कुछ यादें और
तड़प ही है हमारे नाम 
जैसे
"किनारे से लहरें बस मुहोब्बत
ही कर सकती है , उनकी कभी हो नहीं सकती"

रेवा

8 comments:

  1. किनारे से लहरें बस मुहोब्बत
    ही कर सकती है , उनकी कभी हो नहीं सकती
    Jeevan ka kitna bada saty aapne yahan kah diya!

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  2. kshama di bahut bahut dhanyad hamesha apke comments ka wait rehta hai mujhe

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  3. "Yaadon kee pankhudiyaan!" Kitna nazuk khayal hai! Bahut khoobsoorat!

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  4. तेरी यादों की पंखुड़ियों को मैंने
    अपनी दिल की डायेरी में सहेज
    कर रखा है...........waha kya bat ha. apki rachnayain bahut umda aur dil ko chune wali han.. suvkamnayain hamari..

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  5. चाहा था जी जान से
    उसको बना कर अपना ,
    पलकों मै छुप मेरी वो
    यादों मै मेरी बस गया हे!

    "किनारे से लहरें बस मुहोब्बत ही कर सकती है
    यादों के निशान ही दे सकती हैं किनारे पर वो "
    मिनी ! जब प्यार यादों की धरोहर बन जाता हे ,
    तब वह यादों मै 'सकून' का देवता बन जाता हे ,
    क्योंकि .....
    वह प्यार वक्त के दायरे तोड़ आजाद हो चुका हे ,
    स्मृति की उमंगें, वक्त की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती,
    जो स्मृति की उमंगों मै जी लेते हैं, वो सकून पा लेते हैं!

    दादू !

    Dil ko chutey huye bhavon ki abhivyakti key liye abhaar Mini , tum bahut achcha likhne lag gaiho !

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  6. bahut hi achhi panktiyaan...
    achhi rachna ke liye badhai....

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  7. kya likha h...really janmpatri.pandit@gmail.com

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