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Tuesday, October 25, 2011

कभी चखा है ?

कभी चखा है 
प्यार मे बहते 
आँसुओं का स्वाद ? 

जितने मीठे होते हैं 
उतना ही भर देते हैं 
प्यार से ,

कभी देखा है 
प्यार से भरे 
आँखों को ?

बला की ख़ूबसूरत 
हो जाती हैं आँखें ,
जुबान की जरूरत 
ही नहीं होती फिर ,
बस आँखें ही 
बयां कर देतीं 
है हाले दिल ,

शुक्रिया तुम्हारा 
ए साथी ...
की तुमने मुझे 
जीवन के इस रस से महरूम 
नहीं होने दिया .........

"छलकने दो इन आँसुओं को 
भरने दो नैनों के प्यालों को ,
क्यूंकि एक एक आंसू
मेरे प्यार की इन्तहा 
को बयां  करते हैं "

रेवा 


11 comments:

  1. सार्थक रचना, सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें.

    समय- समय पर मिली आपकी प्रतिक्रियाओं , शुभकामनाओं, मार्गदर्शन और समर्थन का आभारी हूँ.

    "शुभ दीपावली"
    ==========
    मंगलमय हो शुभ 'ज्योति पर्व ; जीवन पथ हो बाधा विहीन.
    परिजन, प्रियजन का मिले स्नेह, घर आयें नित खुशियाँ नवीन.
    -एस . एन. शुक्ल

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  2. सुन्दर प्रस्तुति
    आपको और आपके प्रियजनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें….!

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  3. "छलकने दो इन आँसुओं को
    भरने दो नैनों के प्यालों को ,
    गहरे जज्बातों को शब्द दे देती हैं आप .... बहुत लाजवाब
    कुछ व्यक्तिगत कारणों से पिछले 20 दिनों से ब्लॉग से दूर था
    देरी से पहुच पाया हूँ !

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  4. भावपूर्ण सुन्दर रचना !!

    "शुभ दिवाली"

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  5. shukriya aap sabka....DIWALI KI APP SABKO AUR APKE PARIWAR KO DEHRO SHUBKAMNAYEIN.....

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  6. बहुत ही खूबसूरत कविता।

    सादर

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  7. jisne yah prem ras chakhaa hai wahi jaan saktaa hai isko...sundar!!

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  8. जब शब्द खामोश हो जाते है.. तब शुरू होती है आंसू की भाषा!

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  9. Yashwantji,nidhiji,anupamaji............bahut bahut shukriya

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  10. प्रेम भावना को बहुत अच्छी तरह व्यक्त किया है आपने

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